अलाउद्दीन खिलजी
- जलालुद्दीन खिलजी की हत्या करके 19 जुलाई 1296 में अलाउद्दीन खिलजी गद्दी पर बैठा
- अलाउद्दीन खिलजी जलालुद्दीन का भतीजा व कडा-मनिकपुर का इक्तादार था
- अलाउद्दीन के बचपन का नाम अली तथा गुरशास्प था अलाउद्दीन के पिता का नाम शिहाबुद्दीन था जो फिरोज खिलजी का भाई था
- शासक बनने पर उसने सर्वप्रथम मुल्तान पर अधिकार कर लिया और पूर्व सुल्तान के पुत्र अर्कली खाँ सहित उसके समस्त परिवार के सदस्यों को मार दिया तथा बलबनी व जलाली अमीरों को जड मूल से नष्ट कर दिया
- अलाउद्दीन खिलजी के राज्यारोहण के साथ ही सल्तनत के साम्राज्यवादी युग प्रारम्भ हुआ वह प्रारम्भ से ही साहसी महत्वकांक्षी था जब वह कडा का सूबेदार था ,तभी उसने 1292 में मालवा पर आक्रमण कर भिलसा नगर को लूटा तथा बहुत सारी सम्पत्ति एकत्र कर ली
- अमीर खुसरो के खजा-ए-मुल्फुतूज के अनुसार अलाउद्दीन ने सिकंदर-ए-साहनी की उपाधि ग्रहण की उसने नवीन धर्म प्रारम्भ करने का मन बनाया किंतु दिल्ली के कोतवाल अताउलमुल्क की सलाह पर ये विचार त्याग दिया
- विजयों और शत्रुओं को मित्र बनाने की नीति का पालन करने में अलाउद्दीन खिलजी की तुलना अकबर से की जा सकती है
- जोधपुर के संस्कृत शिलालेख में कहा गया है कि “अलाउद्दीन के देवतुल्य शौर्य से पृथ्वी अत्याचारों से मुक्त हो गयी थी
आक्रमण
- अलाउद्दीन के शासन काल में मंगोलो के सर्वाधिक आक्रमण हुए इस आक्रमण से निपटने के लिए उसने ‘लौह व रक्त’ नीति अपनाई
- अलाउद्दीन ने पहला आक्रमण 1298ई0 में गुजरात पर किया गुजरात पर आक्रमण करने के लिये उसने नुसरत खाँ व उलूग खाँ को नियुक्त किया
- तारीख-ए-मासूमी के अनुसार अलाउद्दीन ने सर्वप्रथम जैसलमेर पर आक्रमण किया
- 1300 ई0 में अलाउद्दीन ने स्वयं रणथम्भौर के दुर्ग पर घेरा डाला राजपूताना मे अलाउद्दीन की सबसे महत्वपूर्ण विजय चितौड की थी 1302 से 1303ई0 के इस अभियान में अमीर खुसरो ने भी भाग लिया
- चित्तौड आक्रमण का प्रमुख लक्ष्य वहाँ के शासक राजा रतन सिंह की पत्नी पद्मिनी जो कि एक अपूर्व सुंदरी थी उसे प्राप्त करना था उसने चित्तौड का नाम अपने पुत्र खिज्र खाँ के नाम पर खिज्राबाद रखा
- अलाउद्दीन दिल्ली सल्तनत का पहला ऐसा सुल्तान था जिसने विध्यांचल पर्वत पार करके दक्षिणी प्रायद्व्यीप पर विजय प्राप्त करने का प्रयास किया
- दक्षिण में अलाउद्दीन के अभियान का संचारण मलिक काफूर ने किया दक्षिण मे मलिक काफूर का पहला अभियान 1307 ई0 मे देवगिरी के शासक रामचंद्र देव के विरुध्द हुआ
- मलिक काफूर जब तेलांगाना की राजधानी वारंगल पहुचा तो वहाँ के शासक प्रतापरुद्र देव ने आत्मसमर्पण करके कोहिनूर हीरा उसे सौप दिया जिसे मलिक काफूर ने अलाउद्दीन खिलजी को दे दिया
- दक्षिण भारत में अलाउद्दीन खिलजी का अंतिम अभियान 1313 ई0 में रामचंद्र देव के उत्तराधिकारी देवगिरी के शासक सिघणदेव के विरुध्द हुआ
शासन
- अमीर खुसरो और बरनी के अनुसार अलाउद्दीन का राजत्व सिध्दांत शासन की निरंकुशता धर्म और राजनीति को अलग-अलग करना तथा साम्राज्यवाद से प्रेरित था
- अलाउद्दीन ने जातिवाद की नीति को त्याग कर योग्यता के आधार पर पदो का वितरण किया
बाज़ार नीति
- अलाउद्दीन खिलजी को बाजार प्रणाली में सुधार करने वाला प्रथम शासक था उसने वस्तुओ के मूल्यो को भी लम्बे समय तक स्थिर रखा
- बाजार नियंत्रण प्रणाली में इसने मंडी(जहाँ अनाज का व्यापार किया जाता था) व सराय-ए-अदल(जहाँ कपडो का व्यापार किया जाता था) घोडे-दास व मवेशी बाजार तथा सामान्य बाजार की व्यवस्था की
- अलाउद्दीन खिलजी ऐसा प्रथम शासक था जो बहुत बडी सेना रखता था उसकी सेना में 4,75,000 अश्वरोही थे वह सैनिको को नकद वेतन देता था
- अलाउद्दीन के सैनिक 1,000 1,00 10 की टुकडियो में बंटे हुए थे जिनके प्रमुख को खान, मलिक, अमीर, सिपहसलार आदि कहा जाता था
- अलाउद्दीन ने ही घोडो को दागने की तथा सैनिको का हुलिया रखने की प्रणाली चलाई वह प्रत्येक सैनिक को 234 टंका प्रतिवर्ष देता था
- अलाउद्दीन ने पुलिस व्यवस्था को ठोस रुप संगठित किया पुलिस का मुख्य अधिकारी कोतवाल कहलाता था
- अलाउद्दीन ने कर प्रणाली मे सुधार किये व मकान पर तथा चराई पर कर लगाये इसने दोआब गंगा यमुना के मध्य के क्षेत्र पर कर की बृद्धि की किसानो को उपज के 50% लगान के रुप मे देने का आदेश दिया
- युध्द से प्राप्त धन साम्रगी जिसे गनिमा या खम्स कहा जाता है उसको राज्य के लिए 80% व सैनिको के लिए 20%निर्धारित किया इससे पहले खम्स राज्य के लिए 20% और सैनिको के लिए 80% होता था
- अलाउद्दीन ने कुछ कर्मचारी नियुक्त किये गुप्तचर विभाग का अधिकारी जिसे ‘बरीद-ए-‘ममालिक’ कहा जाता था दूसरा ‘हरकार्य’ था जिसे शहर मे नियुक्त किया जाता था तीसरा ‘मुनहियन’ या ‘वमुन्ही’ जो सूचना देता था
- अलाउद्दीन ने लगान वसूली के कार्यो के दोषों को दूर करने के लिए नए विभाग दीवान-ए-मुस्तखराज की स्थापना की
- अलाउद्दीन खिलजी ने डाक व्यवस्था का भी प्रारम्भ किया तथा राशनिंग प्रणाली भी प्रारम्भ की
निर्माण कार्य
- अलाउद्दीन ने दिल्ली में अलाई दरवाजा, सीरी का किला, हौसखास, जमातखाना मस्जिद आदि का निर्माण कराया
उपाधियाँ
- अलाउद्दीन ने ‘यामिन-उल-खिलाफत-अमीर-उल-मोमिनीन, अमीर-ए-तुनुक, सिकंदर-ए-सानी की उपाधि ग्रहण की व उसे विश्व का सुल्तान, युग का विजेता, जनता का चरवाहा जैसी उपाधिया भी दी गई
मृत्यु
- अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु 3 जनवरी 1316 ई0 को जलोदर (Dropsy) के कारण हो गई
Audio Notes
अलाउद्दीन खिलजी का विजय अभियान
राज्य | शासक | वर्ष | खिलजी सरदार | विशेष /विवरण |
गुजरात | रायकरन बघेला (कर्ण) | 1298 ईस्वी | उलूग और नुसरत खां | गुजरात अभियान के मार्ग में जैसलमेर विजित किया कर्ण भाग गया | |
रणथंभौर | राणा हम्मीर देव (चौहान शासक) | 1301 ईस्वी | उलूग खां और नुसरत खा | पहले राणा ने हमला विफल कर दिया और नुसरत खां मारा गया अब अलाउद्दीन स्वयं आया राजपूतों ने जौहर किया और हम्मीर युद्ध में मारा गया | |
चित्तौड़ | रतन सिंह | 1303 ईस्वी | अलाउद्दीन खिलजी | चित्तौड पर अधिकार कर उसका नाम ‘खिज्राबाद’ रखा 1311ई. में चित्तौड़ मालदेव को सौंप दिया | |
मालवा | महलकदेव | 1305 ईस्वी | आइन उल मुल्क मुल्तानी | महलक देव मांडू भाग गया और मालवा खिलजी साम्राज्य में मिल गया | |
सिवाना | शीतलदेव (परमार वंशीय) | 1308 ईस्वी | कमालुद्दीन कुर्ग | – |
जालौर | कान्हदेव (कृष्णदेव) | 1311 ईस्वी | कमालुद्दीन कुर्ग | शासक के भाई मालदेव को खुश होकर चित्तौड़ सौंपा | |
दक्षिण भारत
देवगिरी | रामचंद्र देव (यादव शासक) | 1296 ईस्वी | अलाउद्दीन खिलजी | रामचंद्र देव ने एलिचपुर प्रांत की आय देने का वादा किया | |
देवगिरी | रामचंद्र देव | 1307 ईस्वी | मलिक काफूर | रामचंद्र ने कर देना बंद कर दिया था अतः आक्रमण हुआ रामचंद्र ने समर्पण किया और दिल्ली गया वहां अलाउद्दीन ने मित्रवत व्यवहार कर उसे रायरायन की उपाधि दी साथ ही नवसारी जिला भेंट किया | |
वारंगल | प्रताप रुद्र देव (काकतीय शासक) | 1309 ईस्वी | मलिक काफूर | देवगिरी ने काफ़ूर को सहायता दी और काफूर तेलंगाना की राजधानी पहुंच गया और शासक की सोने की मूर्ति और कोहिनूर हीरा तथा भारी मात्रा में लूट का माल लेकर लौटा | |
द्वारसमुद्र | वीर बल्लाल- III (होयसल वंश) | 1310 ईसवी | मलिक काफूर | देवगिरी का सेनापति पारसदेव (परशुराम दलावे) काफूर की मदद के लिए साथ हो लिया | वीर बल्लाल स्वयं पांडय उत्तराधिकारी युद्ध में भाग लेने गया था बल्लाल ने समर्पण किया और काफूर के साथ दिल्ली गया अलाउद्दीन ने भव्य स्वागत किया | |
पांडय | वीर पांडय | 1311 ईस्वी | मलिक काफूर | काफूर पांडय राज्य के उत्तराधिकार युद्ध में सुंदर पाण्ड्य के पक्ष में गया था | साथ में बीर बल्लाल भी था वीर पांडे भागता रहा यह अभियान लूट की दृष्टि से श्रेष्ठ था | |
देवगिरी | शंकरदेव (सिंघण II) | 1313 ईसवी | मलिक काफूर | सिंघण मारा गया और देवगिरी अधिकांशत: दिल्ली सल्तनत में शामिल कर लिया गया | |
sukriyaa study ko esey bananey k liye
sukriyaa study ko esey bnnaney k liye
Sir audio notes kaise download kre
thanks sir