बहलोल लोदी (लोदी वंश) | Bahlol Lodi/Lodhi History in Hindi
- दिल्ली सल्तनत के अंतर्गत पहला अफगान वंश बहलोल लोदी ने स्थापित किया
- लोदी शासक अफगान जाति के थे जिन्हे पठान भी कहा जाता था
- प्रथम अफगान राज्य की स्थापना (मध्यकालीन भारत में) लोदीयों ने ही की थी
- लोदी वंश का संस्थापक बहलोल लोदी था इसका शासन काल 1451-1489 तक रहा
- दिल्ली की गद्दी पर बैठने वाला यह पहला अफगान शासक था
- इसने जौनपुर के शासक हुसैन शाह को परास्त कर उसे पुन: दिल्ली सल्तनत मे मिला लिया
- बहलोल लोदी सुल्तान बनने से पहले सरहिंद का सूबेदार था
- इसने एक बहलोली सिक्का चलाया
- यह अपने अफगानी सरदारो की बहुत इज्जत करता था वह अपने अफगानी सरदारों को ‘मकसदे आलो’ कहकर पुकारता था
- बहलोल लोदी एक साधारण व्यक्ति था तारीख-ए-दाऊदी के लेखक अब्दुल्लाह के अनुसार वह कभी सिहासन पर नही बैठता था
- बहलोल लोदी की मृत्यु जलाली के निकट 1489 में हुई
- इसका अंतिम अभियान ग्वालियर के विरुध्द हुआ
ऑडियो नोट्स सुनें
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बहुत ही सुन्दर नोट्स है आपका।
इसमें एक और जोड़ लेवे।
की बहलोल लोदी ने हज़रत-ए-आला की उपाधि धारण की।
बहलोल लोदी मलिक काला का पुत्र और मलिक बहराम का पौत्र था
बहलोल खाँ अफगानों की लोदी जाति का था। वह सुल्तान शाह लोदी का भतीजा था, जिसे मल्लू इकबाल की मृत्यु के पश्चात् इस्लाम खाँ की उपाधि देकर सरहिन्द का शासक नियुक्त किया गया था। अपने चाचा की मृत्यु के बाद बहलोल लाहौर एवं सरहिन्द का शासक बना। जब अलाउद्दीन आलमशाह ने स्वेच्छापूर्वक दिल्ली का राजसिंहासन त्याग दिया, तब उसने मंत्री हमीद खाँ की सहायता से 19 अप्रैल, 1451 को इस पर अधिकार कर लिया। इस प्रकार भारत के इतिहास में पहली बार एक अफगान शासक दिल्ली की गद्दी पर बैठा।उसने 1486 ई. में अपने सबसे बड़े जीवित पुत्र बारबक शाह को जौनपुर का राजप्रतिनिधि नियुक्त किया। ग्वालियर से वहाँ के राजा कीरत सिंह को दण्ड देकर लौटते समय सुल्तान बीमार पड़ गया। अपने पुत्र बारबक शाह एवं निजाम शाह तथा पौत्र आजमे-हुमायूँ के पक्षावलबियों द्वारा गद्दी के उत्तराधिकार के लिए रचे षड्यंत्रों के बीच, जलाली शहर के निकट जुलाई, 1489 ई. के मध्य तक, उसने अंतिम साँस ली।
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