लौह इस्पात उद्योग को किसी देश के अर्थिक विकास की धुरी माना जाता है। भारत में इसका सबसे पहला बड़े पैमाने का कारख़ाना 1907 में झारखण्ड राज्य में सुवर्णरेखा नदी की घाटी में साकची नामक स्थान पर जमशेदजी टाटा द्वारा स्थापित किया गया गया था। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् पंचवर्षीय योजनाओं के अन्तर्गत इस पर काफ़ी ध्यान दिया गया और वर्तमान में 7 कारखानों द्वारा लौह इस्पात का उत्पादन किया जा रहा है।
लौह इस्पात के कारखाने
- विकास की दृष्टि से देखा जाय तो सबसे पहला कारख़ाना सन् 1874 में कुल्टी नामक स्थान पर ‘बाराकर लौह कम्पनी’ के नाम से स्थापित किया गया था। जो 1889 में बंगाल लोहा एवं इस्पात कम्पनी के रूप में परिवर्तित हो गया।
- 1908 में पश्चिम बंगाल की दामोदर नदी घाटी में हीरापुर नामक स्थान पर भारतीय लौह इस्पात कम्पनी स्थापित हुई।
- 1923 में दक्षिण भारत के मैसूर राज्य के भद्रवती नामक स्थान पर भारत की प्रथम सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई ‘मैसूर आयरन एण्ड स्टील वक्र्स’ की स्थापना की गई, जिसको वर्तमान में ‘विश्वेश्वरैया आयरन एण्ड स्टील कं. लि.’ के नाम से जाना जाता है।
- 1937 में बर्नपुर में ‘स्टील कार्पोरेशन ऑफ़ बंगाल’ की स्थापना हुई एवं 1953 में इसकों भी ‘इण्डियन आयरन एण्ड स्टील कम्पनी’ में मिला दिया गया।
प्रमुख कारखाने
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् द्वितीय पंचवर्षीय योजना काल (1956-61) में सार्वजनिक क्षेत्र के तीन प्रमुख लौह इस्पात कारखाने स्थापित किये गये-
- हिन्दुस्तान स्टील लि., भिलाई (दुर्ग ज़िला, छत्तीसगढ़)
- हिन्दुस्तान स्टील लि., राउरकेला (सुन्दरगढ़ ज़िला, उड़ीसा)
- हिन्दुस्तान स्टील लि. दुर्गापुर (वर्धमान ज़िला, पश्चिम बंगाल)
अन्य कारखाने
तृतीय पंचवर्षीय योजना काल (1961-66) में झारखण्ड के बोकारो नामक स्थान पर एक नये कारखाने की आधारशिला रखी गयी, जिसमें चतुर्थ पंचवर्षीय योजना काल में ही उत्पादन प्रारम्भ हो गया वर्तमान में लौह इस्पात का उत्पादन करने वाले उपर्युक्त 7 कारखानों के अतिरिक्त आंध्र प्रदेश के विशाखापटनम इस्पात संयंत्र से उत्पादन प्रारंभ हो गया है। यह संयंत्र देश का पहला ऐसा समन्वित इस्पात कारख़ाना है, जिसने आई.एस.ओ. प्रमाण पत्र प्राप्त किया है। साथ ही कर्नाटक के बेल्लारी ज़िले में हास्पेट के समीप विजयनगर इस्पात परियोजना तथा तमिलनाडु के सलेम ज़िले में सलेम इस्पात परियोजना निर्माणधीन है।
सार्वजनिक क्षेत्र में कारखाने
वर्तमान समय में भारत में टाटा ‘आयरन एण्ड स्टील कम्पनी’ (टिस्को) तथा ‘इंडियन आयरन एंड स्टील कंपनी’ (इस्को) निजी क्षेत्र में कार्यरत हैं। टिस्को की गणना देश के सबसे बड़े इस्पात कारखाने के रूप में की जाती है। भद्रावती स्थित ‘विश्वेश्वैरय्या आयरन एण्ड स्टील कं. लि.’ का नियन्त्रण कर्नाटक सरकार तथा ‘स्टील अथारिटी ऑफ इण्डिया लि.’ (सेल) के हाथों में है जबकि शेष कारखाने सार्वजनिक क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं, जिनकी कुल उत्पादन क्षमता निम्नवत हैं-
(1997-98) | (हज़ार टन में ) | |
संयंत्र | निर्धारित क्षमता | |
---|---|---|
कच्चा इस्पात | बिक्री योग्य इस्पात | |
भिलाई | 3,925 | 3,153 |
दुर्गापुर | 1,802 | 1,586 |
राउरकेला | 1900 | 1,671 |
बोकारो | 4000 | 3,156 |
सेलम | – | 175 |
मिश्र इस्पात संयंत्र | – | 184 |
इस्को | 325 | 327 |
कुल समन्वित इस्पात संयंत्र | 11,952 | 10,252 |
2007-08 के दौरान देश में कच्चे लोहे का कुल उत्पादन 538.6 लाख टन हुआ। इसी अवधि के दौरान तैयार इस्पात का उत्पादन 561 टन हुआ।
श्री नन्दन-कर्मकार मे एक लोहार हू मे
लोहा का बेपारी हू।
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