इसके इतिहास की जानकारी पूर्णत: उपलब्ध नहीं है। 1787 ई. में टीपू सुल्लान ने इन द्वीपों पर कब्जा करने की उत्तर के द्वीपवासियों की याचिका को स्वीकार कर लिया ।
टीपू सुल्लान के पश्चात ये द्वीप ईस्ट इण्डिया कम्पनी के अधिकार में आ गए।वर्ष 1956 में इन द्वीपों को मिलाकर केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया गया।
भौगोलिक विशेषता
यह एक सबसे छोटा संघ शासित प्रदेश है । इसमें 12 एटील, तीन प्रवालभित्तियाँ व पाँच जल प्लावित तट हैं ।
यहाँ पर दस द्वीप हैं-मिनिकाय, आण्ड्रोट, अमिनि, अगन्ती, बिट्रा, चेटलाट, करमत, कल्पेनी, कावारत्ती(मुख्यालय )’ किल्टन इत्यादि । आण्ड्रोट सबसे बड़ा द्वीप है ।
मछली पालन यहाँ का मुख्य व्यवसाय है । लक्षद्वीप में प्रति व्यक्ति मछली की उपलब्धता देश में सर्वाधिक है ।
लक्षद्वीप के समुद्र तट पर दो किस्म की समुद्र घास मिलती है, जिनके नाम- थलेसिया हेम्प्रिचिन और सइमोडोसिया आइसोरिकालिया है ।
यहाँ पर पाए जाने वाले समुद्री पक्षी हैं-थारथासी, कारीफेटू |
पर्यटन स्थल-अगत्ती, बनगारम, कलोपनी, कादमत, कावारत्ती व मिनीकीपए इत्यादि
जनजातियाँ -अमनदीवी, कोया, मालमिस, मलचेरी
कृषि
यहाँ की प्रमुख फसल नारियल है और प्रतिवर्ष 6० मिलियन नारियल का उत्पादन होता है । 2689 हेक्टेयर भूमि में यहाँ खेती की जाती है ।
यहाँ के नारियल को जैव उत्पाद (ऑर्गेनिक प्रोडक्ट) के रूप में जाना जाता है ।
भारत में सर्वाधिक नारियल उत्पादन लक्षद्वीप में होता है तथा प्रति हेक्टेयर उपज 22660 नारियल है ।
लक्षद्वीप के नारियालों में विश्व के अन्य नारियलों के मुकाबले सर्वाधिक तेल82% पाया जाता है|
मछली पालन
मछली पकड़ना यहां का अन्य प्रमुख कार्य है। इसके चारो ओर के समुद्र में मछलियाँ बहुत अधिक हैं।
लक्षद्वीप मे प्रति व्यक्ति मछली की उपलब्धता देश मे सर्वाधिक है।
उद्योग
नारियल के रेशे और उससे बनने वाली वस्तुओं का उत्पादन यहाँ का मुख्य उद्योग है।
सरकारी क्षेत्र के अधीन नारियल के रेशों की सात फैक्टरियों, पाँच रेशा उत्पादन एव प्रदर्शन केन्द्र और सात रेशा बँटने वाली इकाइयाँ है।
इन इकाइयो मे नारियल रेशों और सुतली के उत्पादन के अतिरिक्त नारियल के रेशे से बनी रस्सियाँ, कॉरीडोर मैट, चटाइयों और दरियों आदि का भी उत्पादन किया जाता है।
विभिन्न द्वीपो मे निजी क्षेत्रों में भी कई नारियल रेशा इकाइयाँ काम कर रही हैं।