15 मार्च, 2017 बुधवार को कैबिनेट की बैठक में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति को मंजूरी दे दी गई है। पिछली ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति’ वर्ष 2002 में बनाई गई थी। नई हेल्थ पॉलिसी के तहत देश के सभी नागरिकों को सरकारी इलाज की सुविधा मिलेगी और मरीज को इलाज के लिए मना नहीं किया जा सकेगा। पॉलिसी में मरीजों के लिए बीमा का भी प्रावधान भी है।

प्राइवेट अस्पताल में भी इलाज करवाने की छूट मिलेगी

  • अब मरीजों को प्राइवेट अस्पताल में भी इलाज करवाने की छूट मिलेगी।
  • विशेषज्ञों से इलाज के लिए लोगों को सरकारी या निजी अस्पताल में जाने की छूट होगी।
  • स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत निजी अस्पतालों को ऐसे इलाज के लिए तय रकम दी जाएगी।
  • ऐसे में नए अस्पताल बनाने में लगने वाले धन को सीधे इलाज पर खर्च किया जा सकेगा।
  • इस समय देश में डॉक्टर से दिखाने में 80 फीसदी और अस्पताल में भर्ती होने के मामले में 60 फीसदी हिस्सा प्राइवेट सेक्टर का है।
  • लेकिन प्राइवेट सेक्टर में जाने वाले लोगों में अधिकतर को अपनी जेब से ही इसका भुगतान करना होता है।
  • टाइम्स ऑफ इंडिया को  एक अधिकारी ने बताया, अभी तक पीएचसी के तहत प्रतिरक्षण, जन्म से पूर्व की जांच और कुछ अन्य जांच ही शामिल थीं। नई नीति की सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें वैसे रोगों की जांच भी शामिल होगी जो छूआछूत से पैदा नहीं होतीं।

व्यापक स्वास्थ्य सुविधाएं देने की योजना

  • प्रस्ताव में व्यापक स्वास्थ्य सुविधाएं देने की बात कही गई है।

  • इसके तहत मातृ और शिशु मृत्यु दर घटाने के साथ-साथ देशभर के सरकारी अस्पतालों में दवाइयां और रोंगों की जांच के सभी साधन की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।

स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी होगा डिजिटलाइजेशन

  • स्वास्थ्य के क्षेत्र में डिजिटलाइजेशन पर भी जोर दिया जाएगा।
  • प्रमुख बीमारियों को खत्म करने के लिए खास टारगेट तय किया गया है।
  • जहां सरकार अपना ध्यान प्राथमिक चिकित्सा को मजबूत बनाने पर लगाएगी।

पीपीपी मॉडल पर होगा काम

  •  प्रस्ताव के अनुसार, जिला अस्पताल और इससे ऊपर के अस्पतालों को पूरी तरह सरकारी नियंत्रण से अलग किया जाएगा और इसे पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) प्रोजेक्ट में प्राइवेट पार्टी को भी शामिल किया जाएगा।

दो साल के बाद पॉलिसी को मिली मंजूरी

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति पिछले दो साल से लंबित थी। इस पॉलिसी के बाद सरकार का लक्ष्य है कि देश के 80 फीसदी लोगों का इलाज पूरी तरह सरकारी अस्पातल में मुफ्त हो जिसमें दवा, जांच और इलाज शामिल होंगे।
  • पॉलिसी में इंश्योरेंस की भी व्यवस्था की गई है। सभी मरीजों को बीमा का लाभ दिया जाएगा।
  • साल 2002 के बाद पहली बार देश में हेल्थ पॉलिसी को नए सिरे से पेश किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ओबामाहेल्थ केयर स्कीम से काफी प्रभावित थे और मौजूदा पॉलिसी में उससे कुछ इनपुट लिए गए हैं।

राज्यों के लिए इस नीति को मानना अनिवार्य नहीं

  • राज्यों के लिए इस नीति को मानना अनिवार्य नहीं होगा और सरकार की नई नीति एक मॉडल के रूप में उन्हें दे दी जाएगी और इसे लागू करें या नहीं, यह संबंधित राज्य सरकार पर निर्भर करेगी।

स्वास्थ्य पर खर्चा जीडीपी का 2.5 फीसदी हो जाएगा

  • पॉलिसी के पास होने के बाद स्वास्थ्य पर खर्चा जीडीपी का 2.5% हो जाएगा और इसके तीन लाख करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है। इस समय यह जीडीपी का 1.04% है। सूत्रों के अनुसार, पॉलिसी में हेल्थ टैक्स लगाने का भी प्रस्ताव है।

प्रमुख बातें एक नजर में

  • नीति में जन स्वास्थ्य व्यय को समयबद्ध ढंग से जीडीपी के 2.5% तक बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है।
  • वर्तमान में यह जीडीपी का 1.04 प्रतिशत है।
  • जन्म के समय जीवन प्रत्याशा को 67.5 वर्ष से बढ़ाकर वर्ष 2025 तक 70 वर्ष करना।
  • वर्ष 2022 तक प्रमुख वर्गों में रोगों की व्याप्तता तथा इसके रुझान को मापने के लिए विकलांगता समायोजित आयु वर्ष (DALY) सूचकांक की नियमित निगरानी करना।
  • वर्ष 2025 तक राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय स्तर पर कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate: TFR) को घटाकर 2.1 पर लाना।
  • वर्ष 2025 तक पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में मृत्यु दर को कम करके 23 करना तथा एमएमआर के वर्तमान स्तर को वर्ष 2020 तक घटाकर 100 करना।

  • नवजात शिशु मृत्यु दर को घटाकर 16 करना तथा मृत जन्म लेने वाले बच्चों की दर को वर्ष 2025 तक घटाकर एक अंक में लाना।
  • वर्ष 2020 के वैश्विक लक्ष्य को प्राप्त करना जिसे एचआईवी/एड्स के लिए 90:90:90 के लक्ष्य के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • अर्थात एचआईवी पीड़ित सभी 90% लोग अपनी एचआईवी स्थिति के बारे में जानते हैं, सभी 90% एचआईवी संक्रमण से पीड़ित लोग स्थायी एंटीरोट्रोवाइरल चिकित्सा प्राप्त करते हैं तथा एंटीरोट्रोवाइरल चिकित्सा प्राप्त करने वाले सभी 90% लोगों में वॉयरल रोकथाम होगा।
  • वर्ष 2018 तक कुष्ठ रोग, वर्ष 2017 तक कालाजार तथा वर्ष 2017 तक लिम्फेटिक फाइलेरियासिस का उन्मूलन करना तथा इस स्थिति को बनाए रखना।
  • क्षयरोग के नए स्पुटम पॉजिटिव रोगियों में 85% से अधिक की इलाज दर को प्राप्त करना और उसे बनाए रखना तथा नए मामलों में कमी लाना ताकी वर्ष 2025 तक इसे समाप्त किया जा सके।
  • वर्ष 2025 तक दृष्टिहीनता की व्याप्तता को घटाकर 0.25/1000 करना तथा रोगियों की संख्या को वर्तमान स्तर से घटाकर एक-तिहाई करना।
  • हृदयवाहिका रोग, कैंसर, मधुमेह या सांस के पुराने रोगों से होने वाली अकाल मृत्यु को वर्ष 2025 तक घटाकर 25% करना।
  • नीति में गैर-संचारी रोगों की उभरती चुनौतियों से निपटने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

  • नीति में आयुष प्रणाली के त्रि-आयामी एकीकरण की परिकल्पना की गई है जिसमें क्रांस रेफरल, सह-स्थल और औषधियों की एकीकृत पद्धतियां शामिल हैं।
  • इसके अलावा नीति में औषधियों और उपकरणों का सुलभता से विनिर्माण करने, मेक इन इंडिया को प्रोत्साहित करने तथा चिकित्सा शिक्षा में सुधार करने की अपेक्षा की गई है।

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