विधानपरिषद् के अधिकारी (Legislative officials)
सभापति (President)
- विधानपरिषद् सदस्य अपने बीच में से ही सभापति बनते हैं सभापति निम्न तीन मामलों में पद छोड़ सकता है –
- उसकी सदस्यता समाप्त हो जाए |
- उपसभापति को लिखित त्यागपत्र दे |
- यदि विधानपरिषद् में उपस्थित तत्कालीन सदस्य बहुमत से उसे हटाने का संकल्प पास कर दें इस तरह का प्रस्ताव 14 दिनों की पूर्व सूचना के बाद ही लाया जा सकता है |
- पीठासीन अधिकारी के रूप में परिषद के सभापति के कार्य एवं शक्तियां विधानसभा के अध्यक्ष के समान होती हैं सभापति का वेतन एवं भत्ते विधानमंडल तय करता है इन्हे राज्य की संचित निधि पर भारित किया जाता है और इसलिए इन पर राज्य विधानमंडल द्वारा वार्षिक मतदान नहीं किया जा सकता |
उपसभापति (Deputy Chairman)
- उपसभापति को भी सदस्य अपने बीच में से ही चुनते हैं उपसभापति निम्न तीन मामलों में अपना पद छोड़ सकता है |
- यदि वह सभापति को लिखित त्यागपत्र दे |
- यदि उसकी सदस्यता समाप्त हो जाए |
- यदि विधानपरिषद् में उपस्थित तत्कालीन सदस्य बहुमत से उसे हटाने का संकल्प पास कर दें इस तरह का प्रस्ताव 14 दिनों की पूर्व सूचना के बाद ही लाया जा सकता है |
- उपसभापति यदि सभापति अनुपस्थिति हो तो बैठकों की अध्यक्षता करता है पीठासीन होने पर उपसभापति की शक्तियां सभापति के समतुल्य होती हैं |