विधानसभा के कार्य एवं शक्तियां
- जिन राज्यों में विधान मंडल एक सदन है वहां पर विधानमंडल की सभी शक्तियों का प्रयोग विधानसभा द्वारा किया जाता है तथा जिन राज्यों में विधान मंडल दो सदनीय है वहां पर भी विधानसभा अधिक प्रभावशाली है |
विधायिनी शक्तियां (Legislative Powers)
- राज्य सूची तथा समवर्ती सूची के सभी विषयों पर कानून बनाने का अधिकार विधानसभा को प्राप्त है मूल रूप से राज्य सूची में 66 विषय तथा समवर्ती सूची में 47 विषय है |
- यदि विधानमंडल द्विसदनीय है तो विधेयक विधानसभा से पास होकर विधान परिषद के पास जाता है विधान परिषद यदि उसे रद्द कर दें या 3 महीने तक उस पर कोई कार्यवाही ना करें या उसमें ऐसे संशोधन कर दें जो विधानसभा को स्वीकृत ना हो, तो विधानसभा उस विधेयक को दोबारा पास कर सकती है और उसे दोबारा विधान परिषद के पास भेज सकता है |
- यदि विधान परिषद उस बिल पर दोबारा 1 महीने तक कोई कार्यवाही ना करें या दोबारा उसे दोबारा रद्द कर दें या उसमें ऐसे संशोधन कर दे जो विधान सभा को स्वीकृत ना हो, तो तीनों अवस्थाओं में यह बिल दोनों सदनों द्वारा पास समझा जाए |
- दोनों सदनों या एक सदन से पास होने के बाद बिल राज्यपाल के पास जाता है, वह उस पर अपनी स्वीकृति भी दे सकता है, उसे राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भी भेज सकता है, उसे दोबारा विचार करने के लिए निर्देशों या बिना निर्देशों के सदन को वापस भी कर सकता है परंतु यदि विधान सभा या विधान मंडल इस बिल को दोबारा पास करके भेजें तो राज्यपाल को अपनी स्वीकृति देनी पड़ती है |
वित्तीय शक्तियां (Financial powers)
- विधानसभा का राज्य के वित्त पर नियंत्रण होता है धन विधेयक केवल विधानसभा में पेश हो सकता है वित्तीय वर्ष के प्रारंभ होने से पहले राज्य का वार्षिक बजट भी इसी के सामने प्रस्तुत किया जाता है |
- विधानसभा की स्वीकृति के बिना राज्य सरकार न कोई कर लगा सकती है और ना ही कोई पैसा खर्च कर सकती है विधानसभा में पास होने के बाद धन विधेयक विधान परिषद के पास भेजा जाता है जो उसे अधिक से अधिक 14 दिन तक पास होने से रोक सकती है |
- विधान परिषद चाहे धन विधेयक को रद्द करें या 14 दिन तक उस पर कोई कार्यवाही ना करे तो भी वह दोनों सदनों द्वारा पास समझा जाता है और राज्यपाल की स्वीकृति के लिए भेज दिया जाता है जिसे धन विधेयक पर अपनी स्वीकृति देनी ही पड़ती है राज्यपाल धन विधेयक को पुनर्विचार के लिए नहीं लौटा सकता है |
कार्यपालिका पर नियंत्रण (Control of the executive)
- विधान परिषद को कार्यकारी शक्तियां मिली हुई है विधानसभा का मंत्री परिषद पर पूर्ण नियंत्रण है मंत्री परिषद अपने समस्त कार्य व नीतियों के लिए विधानसभा के प्रति उत्तरदाई है विधानसभा के सदस्य मंत्रियों की आलोचना कर सकते हैं प्रश्न और पूरक प्रश्न पूछ सकते हैं |
- विधानसभा चाहे तो मंत्रिपरिषद को हटा भी सकती है विधानसभा मंत्रिपरिषद के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पास करके अथवा धन विधेयक को अस्वीकृत करके तथा मंत्रियों के वेतन में कटौती करके अथवा सरकार के किसी महत्वपूर्ण विधेयक को अस्वीकृत करके मंत्रिपरिषद को त्यागपत्र देने के लिए मजबूर कर सकती है |
संवैधानिक कार्य (Constitutional work)
- राज्य विधानसभा को संविधान में संशोधन करने का कोई महत्वपूर्ण अधिकार प्राप्त नहीं है| संशोधन करने का अधिकार संसद को ही प्राप्त है, परंतु संविधान में कई ऐसे अनुच्छेद हैं जिनमें संसद अकेले संशोधन नहीं कर सकती है |
- ऐसे अनुच्छेदों में संशोधन करने के लिए आधे राज्यों के विधान मंडलों की स्वीकृति भी आवश्यक होती है अतः विधान परिषद के साथ मिलकर विधानसभा संविधान में भाग लेती है |
चुनाव संबंधी कार्य (Election work)
- विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों को राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेने का अधिकार है या अधिकार विधान परिषद को प्राप्त नहीं है |
- विधान सभा के सदस्य विधान परिषद के ⅓ सदस्यों को चुनते हैं |
- विधानसभा के सदस्य की राज्यसभा में राज्य के प्रतिनिधियों को चुनकर भेजते हैं राज्य विधानसभा के सदस्य अपने में से एक को अध्यक्ष तथा किसी दूसरे को उपाध्यक्ष चुनते हैं |