पोरस कौन था ?
राजा पोरस (राजा पुरू भी) पोरवा राजवंश के वशंज थे, जिनका साम्राज्य पंजाब में झेलम और चिनाब नदियों तक (ग्रीक में ह्यिदस्प्स और असिस्नस) और उपनिवेश ह्यीपसिस तक फैला हुआ था। इनका क्षेत्र हाइडस्पेश (झेलम) और एसीसेंस (चिनाब) के बीच था जो कि अब पंजाब का क्षेत्र है। पोरस ने हाइडस्पेश की लड़ाई में अलेक्जेंडर ग्रेट के साथ लड़ाई की।
- पुरुवंशी महान सम्राट पोरस का साम्राज्य विशालकाय था। महाराजा पोरस सिन्ध-पंजाब सहित एक बहुत बड़े भू-भाग के स्वामी थे। पोरस का साम्राज्य जेहलम (झेलम) और चिनाब नदियों के बीच स्थित था।
- पोरस अपनी बहादुरी के लिए विख्यात था। उसने उन सभी के समर्थन से अपने साम्राज्य का निर्माण किया था जिन्होंने खुखरायनों(खोखरों) पर उसके नेतृत्व को स्वीकार कर लिया था।
- इतिहासकार मानते हैं कि पुरु को अपनी वीरता और हस्तिसेना पर विश्वास था लेकिन उसने सिकंदर को झेलम नदी पार करने से नहीं रोका और यही उसकी भूल थी।
- जब सिकंदर ने आक्रमण किया तो उसका गांधार-तक्षशिला के राजा आम्भी ने स्वागत किया और आम्भी ने सिकंदर की गुप्त रूप से सहायता की। आम्भी राजा पोरस को अपना दुश्मन समझता था।
- सिकंदर ने पोरस के पास एक संदेश भिजवाया जिसमें उसने पोरस से सिकंदर के समक्ष समर्पण करने की बात लिखी थी, लेकिन पोरस ने तब सिकंदर की अधीनता स्वीकार नहीं।
- भारतीयों के पास विदेशी को मार भगाने की हर नागरिक के हठ, शक्तिशाली गजसेना के अलावा कुछ अनदेखे हथियार भी थे जैसे सातफुटा भाला जिससे एक ही सैनिक कई-कई शत्रु सैनिकों और घोड़े सहित घुड़सवार सैनिकों भी मार गिरा सकता था।
- इस युद्ध में पहले दिन ही सिकंदर की सेना को जमकर टक्कर मिली। सिकंदर की सेना के कई वीर सैनिक हताहत हुए। यवनी सरदारों के भयाक्रांत होने के बावजूद सिकंदर अपने हठ पर अड़ा रहा और अपनी विशिष्ट अंगरक्षक एवं अंत: प्रतिरक्षा टुकड़ी को लेकर वो बीच युद्ध क्षेत्र में घुस गया।
- कोई भी भारतीय सेनापति हाथियों पर होने के कारण उन तक कोई खतरा नहीं हो सकता था, राजा की तो बात बहुत दूर है। राजा पुरु के भाई अमर ने सिकंदर के घोड़े बुकिफाइलस (संस्कृत-भवकपाली) को अपने भाले से मार डाला और सिकंदर को जमीन पर गिरा दिया। ऐसा यूनानी सेना ने अपने सारे युद्धकाल में कभी होते हुए नहीं देखा था।
- सिकंदर जमीन परगिरा तो सामने राजा पुरु तलवार लिए सामने खड़ा था। सिकंदर बस पलभर का मेहमान था कि तभी राजा पुरु ठिठक गया। यह डर नहीं था, शायद यह आर्य राजा का क्षात्र धर्म था, बहरहाल तभी सिकंदर के अंगरक्षक उसे तेजी से वहां से भगा ले गए।
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पोरस को लेकर इतिहासकार और दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्राचीन इतिहास पढ़ाने वाले प्रोफेसर आर.सी. ठाकरन ने बीबीसी से बातचीत में बताया कि पोरस झेलम नदी के किनारे बसे एक छोटे राज्य के राजा थे.
जिस तरह से आज हम भारत को देखते हैं उस तरह पहले एक देश नहीं था. अलग-अलग राज्य थे जिनमें से एक का शासक पोरस थे.
वो बताते हैं, ”पोरस का शासन क्षेत्र पंजाब में झेलम के आसपास था. लेकिन यहां जितने छोटे-छोटे राज्य थे उनमें पोरस को काफ़ी शक्तिशाली शासक माना जाता था.इतिहासकार बताते हैं कि सिकंदर विश्व विजय पर निकले हुए थे. वो पोरस के राज्य तक पहुंच गए थे. सिकंदर के आगे जिसने सरेंडर नहीं किया, उनसे टकराव हुआ.
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में प्राचीन इतिहास के प्रोफेसर डीपी दुबे कहते हैं, ”326 ईसा पूर्व में सिकंदर और पोरस के बीच लड़ाई हुई थी.”
तक्षशिला के राजा ने सिकंदर के आगे घुटने टेक दिए और सिकंदर से पोरस पर आक्रमण करने के लिए कहा ताकि उनका राज्य विस्तार हो सके.
लेकिन पोरस ने वीरता के साथ लड़ाई लड़ी और काफ़ी संघर्ष के बाद पराजय हुई. इसमें सिकंदर की सेना को भी भारी नुक़सान पहुंचा.
इतिहास में मिले आंकड़ों के मुताबिक़, सिकंदर की सेना में 50 हज़ार से भी अधिक सैनिक थे जबकि पोरस के सैनिकों की संख्या 20 हज़ार के क़रीब थी. पोरस ने सिकंदर की सेना के सामने अपनी सेना के हाथी खड़े कर दिये, जिससे सिकंदर भी दंग थे.
हालांकि प्रो. दुबे यह भी मानते हैं कि सिकंदर का आक्रमण कभी भारत में हुआ ही नहीं. वो कहते हैं, ”मेरे हिसाब से सिकंदर का आक्रमण पाकिस्तान में हुआ था. सिकंदर की हिम्मत कभी सिंध नदी पार करने की नहीं हुई.”
सिकंदर और पोरस की दोस्ती कैसे हुई?
प्रो. ठाकरन बताते हैं, ”जब पोरस हार गए तब उन्हें सिकंदर के सामने पेश किया गया.
thanks sir
but as per chinese and iranian history king Poras won this battle and Alexander lost. Let me clear one thing if really Alexander won that battle then why he return ? This history that we we reading that was written by Greece historian and how they write that Alexander lost that battle.
In the end we don’t have any concrete deviance, Who won that battle