संधि:- (Enphony)
सन्धि शब्द का अर्थ होता है = मेल, जब हम किसी दो वस्तुओं को एक में मिलाते है तो उनमें कुछ न कुछ परिवर्तन होता ही है।
- जैसे:- हमने एक कटोरी में चीनी ली और उसी में थोड़ा पानी मिलाया तो जैसे ही हमने उस चीनी में पानी डाला उसमे एक परिवर्तन हुआ और वो बन गया | पानी + चीनी = शरबत
इसी प्रकार हम संधि को जानेगें – वर्णानां परस्परम विक्रतिमत् सन्धानं संधि
- दो वर्णों के निकट आने से उनमें जो विकार होता है उसे संधि कहते हैं। या जब दो शब्द एक दूसरे के निकट आते हैं तो निकट रहने वाले पहले पद के अंतिम वर्ण तथा दूसरे पद के प्रथम वर्ण में जो परिवर्तन उत्पन्न होता है उसे सन्धि कहते हैं।
संधि के प्रकार
1. स्वर संधि
2. व्यंजन संधि
3. विसर्ग संधि
स्वर (अच्) सन्धि
जब एक स्वर वर्ण दूसरे स्वर वर्ण से मिलता है। तो उसे स्वर सन्धि कहते हैं। पहचान:- इस उदाहरण में आ एवं इ इन दो स्वरों का मेल हुआ है। जैसे:- महा + इन्द्र: = महेन्द्र: (आ + इ =ए)
स्वर संधि 6 प्रकार की होती हैं:-
- अक: दीर्घ: सन्धि:-
- आद् गुण: सन्धि:-
- वृद्धिरेची सन्धि:-
- इकोयणचि सन्धि:-
- एचोSयवायाव: सन्धि:-
- पूर्वरूप एड: सन्धि:-
1. अक: दीर्घ: सन्धि:-
- पहचान:- जब बड़ी मात्रा आये = आ, ई, ऊ
- यथा:- शश + अंक: = शशांक: (अ+अ=आ)
- कवि + ईश: = कवीश: (इ+ई=ई)
- वधु + उत्सव: = वधूत्सव: (उ+उ=ऊ)
2. आद् गुण: सन्धि:-
- पहचान:- जब ए, ओ, अर् वर्ण आये
- यथा:- तथा + इति: = तथेति: (अ+इ=ए)
- महा + उदय: = महोदय: (आ+उ=ओ)
- महा + ऋर्षि: = महर्षि: (आ+ऋ=अर्)
3. वृद्धिरेची सन्धि:-
- पहचान:- ऐ, औ वर्ण आये
- यथा:- सद + ऐव = सदैव: (अ+ए=ऐ)
- वन + ओषधि = वनौषिधि: (अ+ओ=औ)
4. इकोयणचि सन्धि:-
- पहचान:- य, व, र ऋ इन वर्णों के आगे आधा वर्ण आये
- अति + अधिकम = अत्यधिकम् (इ+अ=य्)
- सु + आगतम = स्वागतम् (उ+आ=व्)
- लृ + कृति: = लाकृति: (लृ+आ=ल्)
5. एचोSयवायाव: सन्धि:-
- पहचान:- जब अय, आय, अव आव ओ, ऐ, औ 3 ही वर्ण के शब्द आये।
- यथा:- पौ + वन: = पवना (औ+आ=आव्)
- गै + अक: = गायक(ऐ+अ=आय्)
6.पूर्वरूप एड: सन्धि:-
- पहचान:- यदि किसी पद के अंत में एड् (ऐ-ओ) हो और उसके परे (अ) हो तो अ को पूर्व रूप हो जाता है अ अपने से पूर्व वर्ण में ही समा जाता है।
- यथा:- विष्णो + अव = विष्णोSव। (ओ+अ=ओ)
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