क्या आपने कभी महसूस किया है कि किसी किसी विषय में आप कितना भी पढ़ लें आप उसमें माहिर नहीं हो पाते, आप सोचते हैं कि और कितना पढ़ूँ, पूरा दिन तो पढ़ा फिर भी लगता है कम ही रह गया !
इससे पहले कि ये पोस्ट शुरू करें, मेरे बारे में कुछ जान लीजिये, मुझे प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए परीक्षार्थियों को पढ़ाते हुए लगभग 7 साल हो गए हैं, और ऐसे में मैंने ढेर सारे अनुभव किए जहां –
- अभ्यर्थी बेहद मेहनती थे !
- उनकी समझ भी बेहतर थी !
- उनके पास Resources की भी कमी नहीं थी !
- और समय की भी कमी नहीं थी !
पर फिर भी वे सफल नहीं हो पाये,
जबकि उनसे कम समझ रखने वाले अभ्यर्थी सफल हो गए !!
तो ऐसी क्या कमी थी जो वे कर रहे थे जो आपको नहीं करनी है, चलिये जानते हैं
तो कहानी यहाँ से शुरू होती है –
मैंने अनुभव किया कि कुछ विद्यार्थियों को बेहद अच्छे से समझाने के बावजूद वे उस वक्त तो समझ रहे थे मेहनत भी कर रहे थे, नियमित भी थे पर वे बेहतर Perform नहीं कर पा रहे थे !
मैंने इसका कारण जानने का काफी प्रयास किया पर कुछ मिल नहीं पा रहा था, मैंने कुछ Possible Reasons सोचे जो इस प्रकार थे –
- शायद परीक्षा कक्ष में सीमित समय की वजह से दवाब महसूस करते होंगे ! (पर वो कारण नहीं था, हालांकि काफी के विषय में ये भी एक कारण होता है !)
- शायद विषय में रुचि नहीं है, या फिर इनका ध्यान कहीं और है ! (कारण ये भी नहीं था !)
तो फिर कारण था क्या ?
कारण को समझने के लिए हमें अपने व्यवहार को समझना होगा, जब हम पढ़ते हैं तो किस प्रकार का व्यवहार अक्सर सामान्य विद्यार्थियों का रहता है !
हम अक्सर कहते सुने जाते हैं –
- ये क्या पढ़ना ये तो बेसिक है ये तो मुझे आता है !
- ये तो बहुत कठिन है जरूरी थोड़े ही है ये परीक्षा में आए और आएगा भी तो ज़्यादा से ज़्यादा 1 नंबर का नहीं भी करेंगे तो चलेगा !
- परीक्षा में सिर्फ Facts पूछे जाते हैं मैं पूरी कहानी क्यों पढ़ूँ ?
आगे बढ़ने से पहले मैं आपको महेंद्र सिंह धोनी की एक बात बताना चाहता हूँ, उन्होने एक बार कहा था –
जब भी मुझे लगता है कि मैं Form से बाहर हूँ तो मैं Basics पर लौट जाता हूँ !
– महेंद्र सिंह धोनी
कभी भी ये ना सोचेंं कि मुझे तो सब आता है, ध्यान रखिये –
- जब आम पक जाता है तो आगे और पकने की गुंज़ाइश नहीं रहती फिर उसमें सिर्फ सडन आ सकती है, तो कच्चे आम बनकर रहिये जिसमेंं मिठास की गुंज़ाइश रहे !
- और एक और उदाहरण – आपको पता है ना जब हम पानी में चीनी घोलते हैं तो एक स्थिति ऐसी आती है जब चीनी घुलना बंद हो जाती है उसे Saturation कहते हैं, “जब आप सोचते हैं कि आपको सब आता है तब आप यही स्थिति अपने दिमाग के साथ पैदा कर देते हैं ” ऐसा मत होने दीजियेे!
तो वास्तव में समस्या ये हो रही थी –
- वे पढ़ तो रहे थे पर Basics पर ज़्यादा ध्यान नहीं दे रहे है, वे सिर्फ उन चीजों को पढ़ रहे थे जो या तो प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछी गयी थी या फिर जो उन्हें लगता था वो प्रश्न आ सकते हैं !
- जिसकी वजह से उनका ना तो Concept Clear हो रहा था और ना ही बेहतर समझ विकसित होने की वजह से उन्हें वो विषय रुचिकर भी नहीं लग रहे थे !
ध्यान रखिए चाहे जो भी चीज़ हमें आती भी हो, पर उसे दोबारा जब भी आप पढ़ेंगे तो आप पाएंगे कि आपको कुछ नया मिला है, “आपकी नींव जितनी मजबूत होगी, इमारत उतनी ही मजबूत और शानदार होगी“
हमेशा ध्यान रखें –
- बेसिक पढ़ने से कभी भी जी ना चुराएँ, उन्हें दोहराते रहें !
- हमेशा ध्यान रखें कि अगर आपको विषय में रुचि नहीं आ रही है तो पढ़ने से ज़्यादा फायदा नहीं होने वाला है ! तो रुचि विकसित करें !
- सिर्फ Shortcuts पर निर्भर ना रहें, Concepts Clear करें !
- जब भी आपको लगे कि आपकी Performance ठीक नहीं जा रही, धोनी की तरह Basic पर लौट जायेंं !