- ‘दयानंद सरस्वती’ द्वारा 1882 ई० में ‘गोरक्षिणी सभाओं’ का गठन किया गया। तब से 1893 ई० तक पश्चिम भारत में अनेक दंगे हुए।
- कांग्रेस के कई सदस्य इन गोरक्षिणी सभाओं के सदस्य थे जिनको अनुशासित करने में कांग्रेस विफल रही तथा कांग्रेस की धर्मनिरपेक्ष छवि को इससे धक्का पहुंचा।
- प्रो० जॉन मैक्लेन ने अपनी पुस्तक इंडियन नेशनलिज्म एंड अर्ली कांग्रेस में इन दंगों की वजह से कांग्रेस अधिवेशनों में मुसलमान प्रतिनिधियों की घटती संख्या की ओर संकेत किया।
- 30 दिसंबर 1906 को ढाका में आयोजित मुहम्मडन एजुकेशनल कान्फ्रेंस की बैठक में मुसलमानों के लिए एक अलग राजनीतिक दल की आवश्यकता महसूस की गई।
- 30 दिसंबर, 1906 ई० को ही उपरोक्त बैठक में मुस्लिम लीग की स्थापना हुई।
- ढाका के नवाब सलीमुल्ला खाँ लीग के संस्थापक अध्यक्ष बने तथा प्रथम अधिवेशन की अध्यक्षता वकार-उल-मुल्क ने की।
- 1908 ई० में मुस्लिम लीग का पहला स्थाई अध्यक्ष आगा खाँ को बनाया गया तथा इसी वर्ष अलीगढ़ में एक 40 सदस्यीय केंद्रीय समिति की स्थापना हुई।
- 1911 ई० के बाद की कुछ अंतरराष्ट्रीय घटनाओं जैसे-बाल्कन युद्ध, युवा तुर्क आंदोलन आदि ने भारतीय मुसलमानों में अंग्रेजों के प्रति राजभक्ति का भाव कम किया।
- 1913 ई० में लीग ने अपने संविधान में संशोधन करके अपना उद्देश्य भारत में ‘औपनिवेशिक स्वशासन’ की मांग करना निश्चित किया।