सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम
- भारत में टीकाकरण कार्यक्रम को वर्ष 1978 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने ‘टीकाकरण/प्रतिरक्षण (ईपीआई) के विस्तारित कार्यक्रम’ के रूप में शुरू किया गया था।
- यह विश्व के सबसे बड़े स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है। जिसे 1985 में बदलकर ‘सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम’ (Universal Immunization Program (UIP) करके सम्पूर्ण भारत वर्ष में लागू कर दिया गया।
- भारत का टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) गुणवत्तापूर्ण वैक्सीन का उपयोग करने, लाभार्थियों की संख्या, टीकाकरण सत्रों के आयोजन और भौगोलिक क्षेत्रों की विविधता को कवर करने के संदर्भ में विष्व का सबसे बडा कार्यक्रम है।
- इसे वर्ष 1985 में बच्चों और गर्भवती महिलाओं में बारह वैक्सीन-रोकथाम योग्य बीमारियों के खिलाफ मृत्यु दर और रुग्णता को रोकने के लिये शुरू किया गया था।
- UIP के तहत हेमोफिलस इन्फ्लुएंज़ा टाइप बी संक्रमण, खसरा, रूबेला, जापानी एनसेफेलाइटिस और रोटावायरस दस्त के कारण होने वाली बारह वैक्सीन-रोकथाम योग्य बीमारियों जैसे- तपेदिक, डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टेटनस, पोलियो, हेपेटाइटिस बी, निमोनिया और मेनिनजाइटिस के खिलाफ नि: शुल्क टीकाकरण प्रदान किया जाता है।
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के माध्यम से शिशुओं, बच्चों और गर्भवती महिलाओं को कई प्रकार के टीके/वैक्सीन प्रदान करती है।
- यह विश्व के सबसे बड़े स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है। कई वर्षों से चालू होने के बावजूद UIP 1 वर्ष से कम आयु के केवल 65% बच्चों का पूर्ण टीकाकरण करने में सक्षम है।
टीकाकरण(Vaccination)
- टीकाकरण एक प्रक्रिया है,जो कि व्यक्ति के शरीर को संक्रमण या रोग से बचाने के लिए उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
- टीकाकरण के माध्यम से व्यक्ति में प्रतिरक्षित या संक्रामक रोग के लिए प्रतिरोधी क्षमता विकसित की जाती है।
सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) के तहत प्रदान किए जाने वाले टीके
1.बीसीजी(BCG)
- बीसीजी का तात्पर्य बेसिल कालमेट-ग्युरिन (बीसीजी) वैक्सीन है। यह शिशुओं को ट्यूबरक्युलर मेनिंगजाइटिस और संचारित टीबी से बचाने के लिए दिया जाता है।
- बीसीजी का टीका जन्म पर या एक वर्ष तक जितनी जल्दी संभव हो उतनी जल्दी दिया जाता है।
- बीसीजी को बायी बांह के ऊपरी हिस्से में अंतर्त्वचीय के माध्यम से दिया जाता है।
2.ओपीवी(OPV)
- ओपीवी का तात्पर्य ओरल पोलियो वैक्सीन है। यह बच्चों को पोलियोमेलाइटिस से बचाता है।
- ओपीवी को जन्म के समय दिया जाता है, जिसे शून्य खुराक कहा जाता है तथा तीन खुराके छह, दस और चौदह सप्ताह में दी जाती है।
- बूस्टर खुराक सौलह से चौबीस महीने की उम्र में दी जाती है।
- ओपीवी को मुंह में (मुख के माध्यम से) दो बूंदों डालने के रूप में दिया जाता है।
3.हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B)
- हेपेटाइटिस बी का टीका हेपेटाइटिस बी वायरस संक्रमण से बचाता है।
- हेपेटाइटिस बी का टीका जन्म पर या चौबीस घंटों के भीतर जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी दिया जाता है।
- इसके बाद तीन खुराके छह, दस और चौदह सप्ताह में डीपीटी और हिब के संयोजन में पेंटावैलेंट वैक्सीन के रूप में में दी जाती है।
- अंतरापेशी इन्जेक्शन को जांघ के मध्य अग्रवर्ती/पूर्ववर्ती तरफ दिया जाता है।
4.पेंटावैलेंट वैक्सीन
- पेंटावैलेंट वैक्सीन पांच रोगों– डिप्थीरिया, टेटनस, पर्टुसिस (काली खांसी), हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी, हेपेटाइटिस बी से बच्चों को बचाने वाली संयुक्त वैक्सीन है।
- तीन खुराकें छह, दस और चौदह सप्ताह की आयु (एक वर्ष की उम्र में दी जा सकती है) में दी जाती हैं।
- पेंटावैलेंट वैक्सीन बायीं मध्य जांघ के आगे व बाहरी हिस्से में अंतरापेशी के माध्यम से दी जाती है।
5.रोटावायरस वैक्सीन
- आरवीवी का तात्पर्य रोटावायरस वैक्सीन है। यह रोटवायरस डायरिया के खिलाफ शिशुओं और बच्चों को सुरक्षा प्रदान करता है। यह चुनिंदा राज्यों में दिया जाता है।
- वैक्सीन की तीन खुराकें छह, दस, चौदह सप्ताह (एक वर्ष की उम्र में दी जा सकती है) में दी जाती है।
- तरल वैक्सीन की पांच बूंदें या 2.5 मिली (लियोफिलाइज्ड वैक्सीन) को मुंह में दिया जाता है।
6.पीसीवी (न्यूमोकॉकस संयुग्म टीकाकरण)
- पीसीवी का तात्पर्य न्यूमोकोकल संयुग्म टीकाकरण (पीसीवी) है।
- यह शिशुओं और छोटे बच्चों को बैक्टीरिया स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया के कारण होने वाली रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है। यह चुनिंदा राज्यों में दिया जाता है।
- यह वैक्सीन छह से चौदह सप्ताह की उम्र में दो प्राथमिक खुराक के रूप में दिया जाता है तथा इसके बाद 9-12 महीने की उम्र में बूस्टर खुराक दी जाती है।
- पीसीवी को बायीं मध्य जांघ के आगे व बाहरी हिस्से में अंतरापेशी (आईएम) के माध्यम से दिया जाता है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि पेंटावैलेंट वैक्सीन और पीसीवी को अलग-अलग अर्थात् दोनों जांघों में दिया जाता है।
7.एफआईपीवी
- एफआईपीवी का तात्पर्य निष्क्रिय पोलियोमेलाइटिस टीका है। इसका उपयोग पोलियोमेलाइटिस के खिलाफ़ सुरक्षा बढ़ाने के लिए दिया जाता है।
- आईपीवी की आंशिक ख़ुराक छह और चौदह सप्ताह की उम्र में अंतर्त्वचीय के माध्यम से दी जाती है।
- इसे दाहिनी बांह के ऊपरी हिस्से में अंतर्त्वचीय के माध्यम से दिया जाता है।
8.मीज़ल्स (ख़सरा)/एमआर वैक्सीन
- बच्चों को मीसल्स से बचाने के लिए मीज़ल्स वैक्सीन का उपयोग किया जाता है। कुछ राज्यों में मीसल्स और रूबेला संक्रमण से बचाने के लिए मीसल्स और रूबेला की संयुक्त वैक्सीन दी जाती है।
- मीज़ल्स या एमआर की पहली ख़ुराक नौ महीने पूरे होने से बारह महीनों (यदि नौ से बारह महीने की उम्र में नहीं दी जाती है, तो पांच वर्ष तक दी जा सकती है) में दी जाती है तथा दूसरी ख़ुराक सौलह से चौबीस महीने की अवस्था में दी जाती है।
- मीज़ल्स वैक्सीन को दाहिनी बांह के ऊपरी हिस्से में अधस्त्वचीय (त्वचा के नीचे) के माध्यम से दिया जाता है।
9.जेई टीकाकरण
- जेई टीकाकरण से तात्पर्य जापानी इन्सेफेलाइटिस टीकाकरण है।
- यह जापानी इन्सेफेलाइटिस रोग के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। जेई वैक्सीन अभियान के बाद जेई के लिए चुनिंदा जिलों में दिया जाता है।
- जेई वैक्सीन की दो खुराक दी जाती है। पहली खुराक नौ महीने पूरे होने पर दी जाती है तथा दूसरी ख़ुराक सौलह से चौबीस महीने की उम्र में दी जाती है।
- लाइव एटिन्यूएटेड वैक्सीन (जीवंत तनुकृत वैक्सीन) बाईं ऊपरी बांह में अधस्त्वचीय (त्वचा के नीचे इंजेक्शन के माध्यम से) दिया जाता है और नाशित वैक्सीन/किल्ड वैक्सीन (इनएक्टिवेटेड वैक्सीन/निष्क्रिय टीका) को मध्य जांघ के आगे व बाहरी हिस्से में अंतरापेशी इंजेक्शन/इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन (इस इंजेक्शन से दवा को शरीर के अंदर गहरे में मौजूद मांसपेशियों में पहुंचाया जाता है) के माध्यम से दिया जाता है।
10.डीपीटी बूस्टर
- डीपीटी एक संयुक्त वैक्सीन है; यह बच्चों को डिप्थीरिया, टेटनस और काली खाँसी (पर्टुसिस) से बचाती है।
- डीपीटी वैक्सीन सौलह से चौबीस महीने की उम्र में दी जाती है, जिसे डीपीटी की पहली बूस्टर ख़ुराक कहा जाता है तथा डीपीटी की दूसरी बूस्टर ख़ुराक पांच से छह वर्ष की उम्र में दी जाती है।
- डीपीटी की पहली बूस्टर ख़ुराक बायीं मध्य जांघ के आगे व बाहरी हिस्से में अंतरापेशी इंजेक्शन के माध्यम से दी जाती है। डीपीटी की दूसरी बूस्टर ख़ुराक बायीं बांह के ऊपरी भाग में अंतरापेशी इंजेक्शन के माध्यम से दी जाती है।
11.टेटनेस एंड एडल्ट डिप्थीरिया (टीडी)
- टीटी वैक्सीन को किशोरों और प्रौढ़ वयस्कों (सभी आयु वर्ग के समूहों के लये) में डिप्थीरिया के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए यूआईपी के तहत टीडी वैक्सीन से बदल दिया गया है। अब टेटनेस एंड एडल्ट डिप्थीरिया (टीडी) का टीका लगाया जाएगा।
- टीडी वैक्सीन दस से सौलह साल की उम्र तक के किशोरों और गर्भवती महिलाओं को लगाई जाएगी।
- गर्भवती महिला- गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं को टीटी-1 दिया जाता है; और टीटी-1 के बाद चौथे सप्ताह में टीटी-2 को दिया जाता है। यदि गर्भवती महिला ने पिछले तीन वर्षों में टीटी/टीडी 2 टीके प्राप्त किये है, तो उसे इस केवल बूस्टर टीडी का टीका ही दिया जाएगा। इंट्रा-मस्कुलर अपर आर्म/अंतरापेशी बांह के ऊपरी भाग में लगाया जाता है।