गिद्ध संरक्षण प्रोजेक्ट
- गिद्ध संरक्षण प्रोजेक्ट गिद्धों के संरक्षण एवं अभिवृद्धि के लिए हरियाणा वन विभाग तथा बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के बीच एक मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग पर सन् 2006 में हस्ताक्षर हुआ हैं।
- राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड (NBWL) ने गिद्धों के संरक्षण की योजना को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत गिद्धों के लिए जहर बन रही मवेशियों के इलाज में प्रयोग की जाने वाली दवाओं को भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल द्वारा प्रतिबंधित किया जाएगा।
- भारत में अधिकांश गिद्धों की मृत्यु पशुओं को दी जाने वाली ‘डायक्लोफेनेक, नानस्टीरोइडल एण्टीइनफ्लेमेटरी ड्रग‘ के उपयोग के कारण होती है।
- एशिया से समाप्त हो रहे गिद्धों के संरक्षण के लिए ‘सेव‘ नामक कार्यक्रम को आरंभ किया गया जिसका उद्देश्य गिद्धों को समाप्त होने से बचाना है।
- इस कार्यक्रम के तहत 30,000 वर्ग किमी. के सुरक्षित क्षेत्र (जो हानिकारक दवाओं से मुक्त हों) में गिद्धों को संरक्षित किया जाएगा।
- इसके तहत पशुओं को दी जाने वाली दवा ‘डायक्लोफेनेक‘ पर प्रतिबंध लगा दिया गया जिसके कारण गिद्धों की मौत हो रही थी।
- देश में गिद्धों की तेजी से घटती संख्या को देखते हुए जूनागढ़, भोपाल, हैदराबाद तथा भुवनेश्वर में गिद्ध संरक्षण परियोजना की शुरूआत की गई है।
- असोम के धरमपुल में देश का पहला ‘गिद्ध प्रजनन केन्द्र‘ स्थापित किया जा रहा है।
- भारत में पिंजौर (हरियाणा), राजभटखावा (पश्चिम बंगाल) तथा रानी (असोम) में तीन गिद्ध संरक्षण प्रजनन केंद्र सफलतापूर्वक संचालित है।
गिद्ध संरक्षण कार्य योजना 2020-2025
- इस कार्य योजना में उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडू में गिद्ध संरक्षण और प्रजनन केन्द्रों की स्थापना का प्रावधान किया गया है।
- इसमें लाल सिर वाले गिद्धों के साथ-साथ मिस्र के गिद्धों के संरक्षण और प्रजनन का भी प्रावधान है।
- गिद्धों की मौजूदा आबादी के संरक्षण के लिए प्रत्येक राज्य में कम-से-कम एक “सुरक्षित गिद्ध क्षेत्र बनाने की भी योजना है।
- गिद्ध संरक्षण कार्य योजना 2020-2025 के अनुसार विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रें में चार बचाव केंद्र स्थापित किए जाएंगे
- उत्तर भारत में पिंजौर,
- मध्य भारत में भोपाल,
- पूर्वोत्तर भारत में गुवाहाटी
- दक्षिण भारत में हैदराबाद