अखिल भारत हिन्दू महासभा भारत का एक राजनीतिक दल है। जिसकी स्थापना 9 अप्रैल, 1915 ई० को हुई।
इसकी स्थापना पंडित मदन मोहन मालवीय ने हरिद्वार (प्रयाग) के कुंभ मेले में की।
इस संस्था में बी०एस०मुंजे एवं लाला लाजपतराय जैसे राष्ट्रवादी नेता थे।
हिन्दू महासभा ने अखंड भारत का नारा दिया।
1930-32 ई० तक यह संगठन कट्टर संकीर्णता से अलग रहा तथा हिंदुओं के अधिकारों की मांग करते हुए अन्य समुदायों के साथ भारत को आजाद कराने के लिए प्रयत्नशील रहा।
सन् 1937 में जब हिन्दू महासभा काफी शिथिल पड़ गई थी और गांधी लोकप्रिय हो रहे थे, तब वीर सावरकर रत्नागिरि की नजरबंदी से मुक्त होकर आए।
वीर सावरकर ने सन् 1937 में अपने प्रथम अध्यक्षीय भाषण में कहा कि हिंदू ही इस देश के राष्ट्रीय हैं और आज भी अंग्रेजों को भगाकर अपने देश की स्वतंत्रता उसी प्रकार प्राप्त कर सकते हैं, जिस प्रकार भूतकाल में उनके पूर्वजों ने शकों, ग्रीकों, हूणों, मुगलों, तुर्कों और पठानों को परास्त करके की थी।
उन्होंने घोषणा की कि हिमालय से कन्याकुमारी और अटक से क़टक तक रहनेवाले वह सभी धर्म, संप्रदाय, प्रांत एवं क्षेत्र के लोग जो भारत भूमि को पुण्यभूमि तथा पितृभूमि मानते हैं, खानपान, मतमतांतर, रीतिरिवाज और भाषाओं की भिन्नता के बाद भी एक ही राष्ट्र के अंग हैं क्योंकि उनकी संस्कृति, परंपरा, इतिहास और मित्र और शत्रु भी एक हैं – उनमें कोई विदेशीयता की भावना नहीं है।