1971 में हुए भारत – पाकिस्तान युद्ध के बाद शिमला समझौता हुआ था।
शिमला समझौता 2 जुलाई 1972 को शिमला में हुआ था।
1971 के भारत – पाकिस्तान युद्ध के दौरान पाकिस्तान के क़रीब 90 हज़ार सैनिकों को भारत ने बंदी बनाया था और पाकिस्तान के बड़े भू-भाग पर भारत ने कब्ज़ा भी कर लिया था।
परिणामस्वरूप तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो के बीच शिमला समझौता हुआ था।
महत्वपूर्ण बिंदु
शिमला समझौते के मुताबिक़ दोनों देशों के सम्बन्ध संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के सिद्धांतों और उद्देश्यों के अनुरूप चलेंगे।
समानता और आपसी लाभ के आधार पर शांति पूर्ण सहअस्तित्व बनाए रखेंगे।
25 सालों से दोनों देशों के रिश्तों को प्रभावित करने वाले कारकों को शांति पूर्ण ढंग से हल किया जायेगा।
यदि दोनों देशों के बीच कोई मुद्दा लबित रह जाता है तो कोई देश उस मुद्दे को लेकर स्थिति में बदलाव करने की एकतरफा कोशिश नहीं करेगा।
दोनों देशों के बीच होने वाले सभी मतभेदों और आपसी विवाद को द्विपक्षीय बातचीत के ज़रिए हल किया जायेगा।
एक दूसरे की राष्ट्रीय एकता, राजनीतिक स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता व सम्प्रभुता का सम्मान करेंगे।
समानता और आपसी लाभ के आधार पर एक दूसरे के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं करेंगे।
दोनों देश किसी भी ऐसी गतिविधि में शामिल नहीं होंगे जो शांति और सुरक्षा के लिए ख़तरा हो।
शिमला समझौते के तहत संचार, सीमाएं खोलने, अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों को बहाल करने दोनों देशों के नागरिकों की यात्रा सुविधाओं को बढ़ाने की बात कही गई।
आर्थिक और दूसरे सहमति वाले क्षेत्रों में व्यापार और सहयोग को बढ़ावा देना का भी ज़िक्र किया गया।
विज्ञान और संस्कृति के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देना तय किया गया।
भारत और पाकिस्तान की सेनाओं को अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर वापस बुलाने का ऐलान हुआ।