सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार
- भारत में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में संगठनों और व्यक्तिगत स्तर पर किए गए अमूल्य योगदान और निःस्वार्थ सेवा को मान्यता व सम्मान देने के लिए भारत सरकार ने सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार के नाम से एक वार्षिक पुरस्कार की शुरुआत की है।
- पुरस्कारों की घोषणा हर साल 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर की जाती है।
- किसी संस्था को पुरस्कार मिलने पर प्रमाणपत्र के साथ 51 लाख रुपये नकद दिए जाएंगे, जबकि किसी व्यक्ति को पांच लाख रुपये की नकद राशि दी जाएगी।
- नामांकित व्यक्ति या संस्था आपदा प्रबंधन के किसी भी क्षेत्र में काम करता हो, जैसे कि (आपदा की) रोकथाम, न्यूनीकरण, तैयारी, बचाव, प्रतिक्रिया, राहत, पुनर्वास, अनुसंधान, नवाचार या पूर्व चेतावनी।’’
- वर्ष 2021 के लिए सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार (i) सस्टेनेबल एनवायरमेंट एंड इकोलॉजिकल डेवलपमेंट सोसायटी (संस्थागत श्रेणी में) (ii) डॉ. राजेंद्र कुमार भंडारी (व्यक्तिगत श्रेणी में) को आपदा प्रबंधन में उत्कृष्ट कार्य के लिए चुना गया है।
- वर्ष 2020 में इस पुरस्कार के लिए डिजास्टर मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट सेंटर, उत्तराखंड (संस्थागत श्रेणी) और श्री कुमार मन्नान सिंह (व्यक्तिगत श्रेणी) का इस पुरस्कार के लिए चयन किया गया था।
- सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) द्वारा प्रशासित किया जाता है।
- एनडीएमए को आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत गठित किया गया है।
- एनडीएमए, भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है।
- केवल भारतीय नागरिक और भारतीय संस्थान ही इस पुरस्कार के लिए आवेदन कर सकते हैं।
सस्टेनेबल एनवायरमेंट एंड इकोलॉजिकल डेवलपमेंट सोसायटी (सीड्स)
- सस्टेनेबल एनवायरमेंट एंड इकोलॉजिकल डेवलपमेंट सोसायटी (Sustainable Environment and Ecological Development Society -SEEDS) ने आपदा के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया है।
- सीड्स ने कई राज्यों में स्थानीय समुदायों में जोखिम की पहचान, आकलन और प्रबंधन में सामुदानियक नेतृत्व और शिक्षकों को सक्षम बनाकर स्कूलों की सुरक्षा पर काम किया है।
- भारत में भूकम्पों (2001, 2005, 2015) के परिणामस्वरूप, सीड्स ने राजमिस्त्रियों के एक समूह को तैयार किया है, जो आपदा प्रतिरोधी निर्माण के कार्य में कुशल हैं।
- सीड्स ने आपदा पूर्व चेतावनी और फीडबैक के लिए एआई आधारित मॉडलिंग जैसी तकनीक का भी उपयोग किया है, जिससे प्रभावित समुदायों की तैयारियों और फैसले लेने की क्षमता में काफी सुधार हुआ है।
डॉ. राजेंद्र कुमार भंडारी
- डॉ. राजेंद्र कुमार भंडारी, भारत में उन अग्रदूतों में शामिल रहे हैं, जिन्होंने सामान्य भू खतरों और विशेष रूप से भूस्खलन पर वैज्ञानिक अध्ययनों की नींव रखी थी।
- उन्होंने सीएसआईआर- केन्द्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) में भूस्खलन पर भारत की पहली प्रयोगशाला और तीन अन्य केन्द्रों की स्थापना की है।