सिमलीपाल राष्ट्रीय उद्यान
- यह राष्ट्रीय उद्यान ओडिशा के मयूरभंज ज़िले के उत्तरी भाग में स्थित है जो भौगोलिक रूप से पूर्वी घाट के पूर्वी छोर में स्थित है।
- सिमलीपल का नाम ‘सिमुल’ (Simul- सिल्क कॉटन) के पेड़ से लिया गया है।
- यह राष्ट्रीय उद्यान 4,374 वर्ग किमी. में फैला हुआ है
- उद्यान के कुल क्षेत्रफल का 845 वर्ग किमी. का कोर क्षेत्र (बाघ अभयारण्य), 2,129 वर्ग किमी. का बफर क्षेत्र और 1,400 वर्ग किमी. का संक्रमण क्षेत्र शामिल है।
- इस राष्ट्रीय उद्यान में उष्णकटिबंधीय, अर्द्धसदाबहार वन, उष्णकटिबंधीय नम पर्णपाती वन, शुष्क पर्णपाती वन और घास के मैदान पाए जाते हैं I
- सिमलीपाल जैव विविधता धनी क्षेत्र है
- उद्यान में 1076 फूलों की प्रजातियाँ और 96 आर्किड की प्रजातियाँ हैंI
- यहाँ बाघों और हाथियों समेत पक्षियों की 304 प्रजातियाँ, उभयचरों की 20 प्रजातियाँ और सरीसृप प्रजातियाँ निवास करती हैं I
- आधिकारिक रूप से टाइगर रिज़र्व के लिये इसका चयन वर्ष 1956 में किया गया था
- 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत इसे शामिल किया गया I
- भारत सरकार ने जून 1994 में इसे एक जैव मण्डल रिजर्व क्षेत्र घोषित किया।
- वर्ष 2009 में यूनेस्को के विश्व नेटवर्क ऑफ़ बायोस्फीयर रिजर्व का हिस्सा हैI
- इस बायोस्फीयर रिज़र्व क्षेत्र में दो जनजातियाँ इरेंगा खारिया और मैनकर्डियास निवास करती हैं,
ओडिशा के अन्य प्रमुख उद्यान/वन्यजीव अभयारण्य
भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान
- इस उद्यान में देश में लुप्तप्राय खारे पानी के मगरमच्छों का सबसे बड़ा समूह निवास करता है।
बदरमा वन्यजीव अभयारण्य
- यह आर्द्र साल वनों की उपस्थिति के लिये जाना जाता है।
चिलिका वन्यजीव अभयारण्य
- चिलिका झील एशिया की सबसे बड़ी और विश्व की दूसरी सबसे बड़ी झील है।
हदगढ़ वन्यजीव अभयारण्य
- सालंदी नदी इस अभयारण्य से होकर गुज़रती है।
बैसीपल्ली वन्यजीव अभयारण्य
- यह बाघों, तेंदुओं, हाथियों और कुछ शाकाहारी जानवरों जैसे-चौसिंगा की एक महत्त्वपूर्ण संख्या के साथ बड़ी मात्रा में साल वन से आच्छादित है।
कोटगढ़ वन्यजीव अभयारण्य
- यहाँ घास के मैदानों के साथ घने पर्णपाती वन भी पाए जाते हैं।
नंदनकानन वन्यजीव अभयारण्य
- यह विश्व में सफेद बाघों और मैलेनिस्टिक टाइगर का पहला प्रजनन केंद्र है।
लखारी घाटी वन्यजीव अभयारण्य
- यह अभयारण्य हाथियों की बड़ी संख्या निवास स्थान है।
गहिरमाथा (समुद्री) वन्यजीव अभयारण्य
- यह हिंद महासागर क्षेत्र में एक बड़ा सामूहिक प्रजनन केंद्र और ओडिशा का एकमात्र कछुआ अभयारण्य है।
- ओलिव रिडले कछुए गहिरमाथा के तट पर प्रजनन के लिये दक्षिण प्रशांत की यात्रा कर यहाँ आते हैं।