जीका वायरस

जीका वायरस एडीज एजेप्टी नाम के मच्छर के काटने से फैलता है।

यह मच्छर आमतौर पर दिन के वक्त काटता है।

एडीज मच्छर के काटने से डेंगू, चिकुनगुनिया, यलो फीवर, दिमागी बुखार (जापानीज इंसेफेलाइटिस) फैलता है।

ये मच्छर, आमतौर पर दिन के समय या दोपहर के बाद काटते हैं।

जीका वायरस सलाइवा और सीमेन जैसे शरीर के तरल पदार्थ के आदान-प्रदान से संक्रामक हो सकता है।

जीका वायरस को माइक्रोसेफली के चलते ज्यादा खतरनाक माना जाता है।

गर्भवती महिलाओं के जीका वायरस से संक्रमित होने पर यह वायरस उनके गर्भस्थ शिशु में चला जाता है। इससे शिशु गर्भ में ही माइक्रोसेफली (जन्मजात विकृतियां) का शिकार हो जाता है।

माइक्रोसेफली के शिकार बच्चे का सिर दूसरे हम उम्र बच्चों के मुकाबले काफी छोटा होता है।

माइक्रोसेफली वाले नवजातों का मस्तिष्क भी अक्सर छोटा होता है जो ठीक से विकसित नहीं हो पाता है।

यह मनुष्यों के खून में भी पाया जा सकता है।

रक्तदान के 14 दिनों के भीतर अगर व्यक्ति को जीका वायरस संक्रमण के साथ निदान किया गया है, तो रक्त दान नहीं करना ही उचित है।

इस वायरस का नाम युगांडा के जीका जंगलों के नाम पर पड़ा है।

1947 में इसी जंगल में पहली बार बंदरों में इस वायरस की पुष्टि हुई थी । इसके बाद 1952 में युगांडा और तंजानिया में यह पहली बार इंसानों में पाया गया।

लक्षण

जीका वायरस के लक्षण डेंगू के समान हैं। 

जीका वायरस से संक्रमित लोगों को बुखार, बदन दर्द, जोड़ों में दर्द और सिरदर्द की समस्या हो सकती है। 

किसी व्यक्ति को संक्रमित मच्छर से काटे जाने के बाद थोड़ा बुखार और चकत्ते दिखाई दिए जा सकते है।

कुछ मामलों में कंजक्टिवाइटिस भी हो सकता है।

इसके लक्षण आमतौर पर 2-7 दिनों तक दिखते हैं।

कभी-कभी जीका वायरस संक्रमण वाले अधिकांश लोगों में लक्षण विकसित नहीं होते हैं।

उपचार

इस वायरस से होने वाली बीमारी का कोई इलाज नहीं है, ना ही कोई वैक्सीन बन सकी है।

व्यक्ति को मच्छरों के काटने से खुद को बचाना चाहिए ।

डिहाइड्रेशन से बचने के लिए भरपूर पानी पीने की भी सलाह दी जाती है।

बुखार और दर्द को कम करने के लिए पैरासिटामॉल जैसी दवाइयों का सेवन किया जा सकता है।

भारत में जीका वायरस

भारत में पहली बार जीका वायरस के केस 1952-53 में पाए गए थे।

2018 में राजस्थान में जीका वायरस के 80 केस मिले थे।

मई 2017 में गुजरात के अहमदाबाद जिले के बापूनगर इलाके में तीन मामले मिले थे।

जुलाई 2017 में तमिलनाडु के कृष्णागिरी जिले में भी एक केस मिला था।

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