मलेरिया रोग
- मलेरिया एक मच्छर जनित रक्त रोग है जो प्लास्मोडियम परजीवी के कारण होता है।
- मलेरिया का प्रसार संक्रमित मादा एनाफिलीज़ मच्छरों के काटने से फैलता है।
- यह मुख्य रूप से अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया के उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है।
- भारत में मुख्यतः मलेरिया के लिए दो प्रकार के परजीवी जिम्मेदार है।
- प्लाजमोडियम फैल्सीफेरम
- प्लाज्मोडियम वाईवेक्स
- मानव शरीर में प्रवेश करने के बाद परजीवी शुरू में यकृत कोशिकाओं के भीतर वृद्धि करते हैं, उसके बाद लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) को नष्ट करते हैं जिसके परिणामस्वरूप RBCs की क्षति होती है।
लक्षण
- पसीना आना, सिरदर्द, मतली, उल्टी और पेट में दर्द आदि इसके लक्षण बताए गए हैं।
मलेरिया उन्मूलन के लिये भारत सरकार के प्रयास
राष्ट्रीय मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम (NMCP)
- 1953 में एनएमसीपी कार्यक्रम शुरू किया गया जो बाहर एवं घरों के भीतर डीडीटी का छिड़काव करने पर केंद्रित था।
राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम (NMEP)
- 1958 में एनएमईपी कार्यक्रम प्रारंभ किया गया।
राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम निदेशालय (NVBDCP)
- भारत में मलेरिया और अन्य वीबीडीएस (डेंगू, लिम्फेटिक फाइलेरिया, काला-अजार, जापानी एन्सेफलाइटिस और चिकनगुनिया) सहित वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए केंद्रीय नोडल एजेंसी है।
मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय फ्रेमवर्क
- भारत सरकार ने फरवरी 2016 में मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय फ्रेमवर्क 2016-2030 अपनाया गया। 2016 में भारत ने ‘मलेरिया उन्मूलन’ कार्यक्रम भी लांच किया गया है। भारत ने 2030 तक मलेरिया के जड़ से खात्मे का लक्ष्य रखा है।
मलेरिया के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना
- WHO के साथ जुलाई 2017 में मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना 2017-2022 की शुरुआत की गयी। इसके अनुसार वर्ष 2027 तक भारत को मलेरिया मुक्त किया जाना है।