लघु वित्त बैंक(Small Finance Bank-SFB)

  • लघु वित्त बैंक वे वित्तीय संस्थान हैं जो देश के उन क्षेत्रों को वित्तीय सेवाएँ प्रदान करते हैं जहाँ बैंकिंग सेवाएँ उपलब्ध नहीं हैं।
  • SFB की स्थापना छोटी व्यावसायिक इकाईयों, छोटे और सीमांत किसानों, सूक्ष्म और लघु उद्योगों और असंगठित क्षेत्र की संस्थाओं जैसे को वित्तीय समावेशन की सुविधा प्रदान करने के लिये की गई है।
  • नचिकेत मोर समिति द्वारा लघु वित्त बैंक की स्थापना की सिफ़ारिश की गई थी।
  • लघु वित्त बैंक, कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत एक सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी के रूप में पंजीकृत हैं।
  • लघु वित्त बैंक किसी अन्य अनुसूचित बैंक के विपरीत भारतीय रिवर्ज बैंक से धनराशि उधार नहीं ले सकते।
  • यह वाणिज्यिक बैंको का एक छोटा और सीमित संस्करण है जो कि जमा ले सकते हैं और ऋण दे सकते हैं।
  • SFB की स्थापना के लिये न्यूनतम पूंजी 100 करोड़ रुपए होनी चाहिये।
  • यह अन्य उत्पाद जैसे कि बीमा, म्युचुअल फंड आदि बेच सकते हैं और एक पूर्ण वाणिज्यिक बैंक का आकार ले सकते हैं।
  • भारत में 10 लघु वित्त संस्थायें कार्यरत हैं।
  • ‘कैपिटल स्मॉल फाइनेंस बैंक’ प्रथम बैंक था जिसने 24 अप्रैल 2016 को 47 शाखाओं के साथ अपना कार्य प्रारम्भ किया।

उद्देश्य

  • बैंकिंग प्रणाली के दायरे के अंतर्गत गैर-बैंकिंग संस्थाओं को लाना।
  • गैर-बैंकिंग क्षेत्रों में बैंकिंग संबंधी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना। 
  • देश में बैंकिंग सेवाओं से वंचित लोगों तक बैंकिंग-उत्पादों की पहुँच को सुनिश्चित करना।
  • छोटे व सीमांत किसानों, सूक्ष्म और लघु उद्योगों एवं अन्य संगठित क्षेत्रों की संस्थाओं आदि को बैंकिंग सेवाएँ उपलब्ध कराना।

सीमाएँ

  • ये बड़ी कंपनियों और समूहों को ऋण नहीं दे सकते।
  • रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के पहले पाँच वर्षों के अनुमोदन के पूर्व अपनी शाखाएँ नहीं खोल सकते।
  • ये किसी भी अन्य बैंक के साथ व्यवसायगत संपर्क नहीं रख सकते हैं। 
  • ये गैर-बैंकिंग वित्तीय सेवाओं की गतिविधियों के लिये सहायक कंपनियों की स्थापना नहीं कर सकते।

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