राज्यपाल की क्षमादान की शक्ति
- अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति को क्षमादान की शक्ति प्राप्त है, जबकि अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल को क्षमादान की शक्ति प्राप्त है।
- इस शक्ति के तहत दोष सिद्ध कैदी दया-याचिका प्रस्तुत करके अपनी सज़ा को माफ़ करने के लिये राष्ट्रपति या राज्यपाल से गुहार लगा सकते हैं।
- प्रत्येक दोष सिद्ध कैदी को दयायाचिका प्रस्तुत करने का संवैधानिक अधिकार है।
- दयायाचिका पर उचित प्रक्रिया के तहत विचार किया जाना कैदी को अनुच्छेद-21 के अंतर्गत प्राप्त मूल अधिकार है।
- अनुच्छेद 161 के तहत किसी राज्य के राज्यपाल को उस विषय संबंधी, जिस विषय पर राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार है।
राज्यपाल की क्षमादान की शक्ति में निम्नलिखित तत्त्व शामिल हैं-
क्षमा
- इसमें दंडादेश और दोषसिद्धि दोनों से मुक्ति देना शामिल है। ध्यातव्य है कि राज्यपाल मृत्युदंड को माफ़ नहीं सकता है, यह शक्ति केवल ‘राष्ट्रपति’ को ही प्राप्त है हालाँकि, राज्यपाल उक्त अपराध के फलस्वरूप अल्प सज़ा का प्रावधान कर सकता है।
लघुकरण
- इसमें दंड के स्वरुप को बदलकर कम करना शामिल है, उदाहरण के लिये मृत्युदंड को आजीवन कारावास और कठोर कारावास को साधारण कारावास में बदलना।
परिहार
- इसमें दंड की प्रकृति में परिवर्तन किया जाना शामिल है, उदाहरण के लिये दो वर्ष के कारावास को एक वर्ष के कारावास में परिवर्तित करना।
विराम
- इसके अंतर्गत किसी दोषी को प्राप्त मूल सज़ा के प्रावधान को किन्हीं विशेष परिस्थितियों में बदलना शामिल है। उदाहरण के लिये महिला की गर्भावस्था की अवधि के कारण सज़ा को परिवर्तित करना।
प्रविलंबन
- इसके अंतर्गत क्षमा या लघुकरण की कार्यवाही के लंबित रहने के दौरान दंड के प्रारंभ की अवधि को आगे बढ़ाना या किसी दंड पर अस्थायी रोक लगाना शामिल है।