पेसा अधिनियम 1996
- ग्रामीण भारत में स्थानीय स्वशासन को बढ़ावा देने के लिये 1992 में 73वां संशोधन पारित किया गया था।
- 73वां संशोधन द्वारा त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्था के लिये कानून बनाया गया।
- अनुच्छेद 243 (M) के तहत अनुसूचित और आदिवासी क्षेत्रों में यह प्रतिबंधित था।
- वर्ष 1995 में भूरिया समिति की सिफारिशों के बाद भारत के अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों हेतु आदिवासी स्वशासन सुनिश्चित करने के लिये पेसा अधिनियम 1996 अस्तित्व में आया।
- ‘पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996’ या ‘पेसा अधिनियम’ भारत के अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाली आबादी के लिए, पारंपरिक ग्राम सभाओं के माध्यम से, स्वशासन सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार द्वारा अधिनियमित एक कानून है।
- यह क़ानून 1996 में संसद द्वारा अधिनियमित किया गया था और 24 दिसंबर 1996 को लागू हुआ था।
- ‘पेसा अधिनियम’ को भारत में आदिवासी कानून की रीढ़ माना जाता है।
- यह कानूनी रूप से आदिवासी समुदायों, अनुसूचित क्षेत्रों के निवासियों के अधिकार को स्वशासन की अपनी प्रणालियों के माध्यम से स्वयं को शासित करने के अधिकार को मान्यता देता है।
- यह प्राकृतिक संसाधनों पर उनके पारंपरिक अधिकारों को स्वीकार करता है।
आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में ‘पेसा अधिनियम’ (PESA Act) के 25 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में ‘पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996’ पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था।