दांडी मार्च
- मोहनदास करमचंद गांधी के नेतृत्व में एक अहिंसक सविनय अवज्ञा आंदोलन चलया गया,जिसे नमक मार्च और दांडी सत्याग्रह के नाम से भी जाना जाता है
- दांडी मार्च को 12 मार्च, 1930 से 6 अप्रैल, 1930 तक ब्रिटिश नमक एकाधिकार के खिलाफ कर प्रतिरोध और अहिंसक विरोध के प्रत्यक्ष कार्रवाई अभियान के रूप में चलाया गया।
- दांडी सत्याग्रह के दौरान गांधीजी ने 12 मार्च को साबरमती से अरब सागर तक दांडी के तटीय शहर तक यात्रा की
- दांडी यात्रा में गांधीजी ने 78 अनुयायियों के साथ 241 मील की यात्रा की गई, इस यात्रा का उद्देश्य गांधी और उनके समर्थकों द्वारा समुद्र के जल से नमक बनाकर ब्रिटिश नीति की अवहेलना करना था।
- सविनय अवज्ञा आंदोलन संपूर्ण देश में फैल गया, जल्द ही लाखों भारतीय इसमें शामिल हो गए।
- ब्रिटिश अधिकारियों ने 60,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया।
- 5 मई 1930 को गांधीजी के गिरफ्तार होने के बाद भी यह सत्याग्रह जारी रहा।
- कवयित्री सरोजिनी नायडू द्वारा 21 मई को बंबई से लगभग 150 मील उत्तर में धरसना नामक स्थल पर 2,500 लोगों का नेतृत्व किया गया।
- अमेरिकी पत्रकार वेब मिलर द्वारा दर्ज की गई इस घटना ने भारत में ब्रिटिश नीति के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आक्रोश उत्पन्न कर दिया।
- गांधीजी को जनवरी 1931 में जेल से रिहा कर दिया गया, जिसके बाद उन्होंने भारत के वायसराय लॉर्ड इरविन से मुलाकात की।
- इस मुलाकात में लंदन में भारत के भविष्य पर होने वाले गोलमेज़ सम्मेलन में शामिल होने तथा सत्याग्रह को समाप्त करने पर सहमति दी गई।
- गांधीजी ने अगस्त 1931 में राष्ट्रवादी भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में इस सम्मेलन में हिस्सा लिया।