महत्त्वपूर्ण तथ्य
- भारत रत्न देने की शुरुआत 2 जनवरी, 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने की थी।
- 1954 में सर्वप्रथम भारत रत्न सी. राजगोपालाचारी, सर्वपल्ली राधाकृष्णन और सी. वी. रमन को दिया गया था, उस समय केवल जीवित व्यक्ति को यह सम्मान दिया जाता था।
- 1955 में मरणोपरांत भी सम्मान देने का प्रावधान इसमें जोड़ दिया गया।
- 2013 में पहली बार खेल के क्षेत्र में नाम कमाने वालों को भी भारत रत्न देने का निर्णय लिया गया और इसी कड़ी में क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को इस सम्मान के लिये चुना गया।
- 2013 में सचिन तेंदुलकर के साथ वैज्ञानिक सी.एन.आर. राव को भी भारत रत्न दिया गया।
- भारत रत्न पाने वालों को भारत सरकार की ओर से केवल एक प्रमाणपत्र और एक पदक मिलता है।
- इस सम्मान के साथ कोई धनराशि नहीं दी जाती।
- इसे पाने वालों को विभिन्न सरकारी विभाग सुविधाएँ उपलब्ध कराते हैं।
- किसी विशेष वर्ष में वार्षिक पुरस्कारों की संख्या अधिकतम तीन तक सीमित है।
- प्रधानमंत्री द्वारा भारत रत्न दिये जाने की सिफारिश राष्ट्रपति से की जाती है। इसके लिये कोई औपचारिक सिफारिश आवश्यक नहीं होती है।
- भारत रत्न पाने वालों को महत्त्वपूर्ण सरकारी कार्यक्रमों में आमंत्रित किया जाता है।
- सरकार वॉरंट ऑफ प्रिसिडेंस में उन्हें जगह देती है। वॉरंट ऑफ प्रिसिडेंस का इस्तेमाल सरकारी कार्यक्रमों में वरीयता देने के लिये होता है।
- भारत रत्न विजेताओं को प्रोटोकॉल में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, पूर्व राष्ट्रपति, उपप्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, लोकसभा अध्यक्ष, कैबिनेट मंत्री, मुख्यमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेता के बाद स्थान मिलता है।