बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI)
- ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनीशिएटिव (OPHI) और ‘संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम’ (UNDP) द्वारा वर्ष 2010 में बहुआयामी गरीबी सूचकांक(MPI) विकसित किया गया था।
- MPI इस विचार पर आधारित है कि गरीबी एक आयाम नहीं है (यह न केवल आय पर निर्भर करती है और एक व्यक्ति में शिक्षा, स्वास्थ्य आदि जैसी कई बुनियादी ज़रूरतों की कमी हो सकती है), बल्कि यह बहुआयामी है।
- यह सूचकांक वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक पर आधारित है, जो प्रत्येक वर्ष व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से गरीब लोगों के जीवन की जटिलताओं की माप करता है।
- MPI तीन आयामों और दस संकेतकों का उपयोग करता है।
तीन आयाम और दस संकेतक
- शिक्षा आयाम- स्कूली शिक्षा और बाल नामांकन के वर्ष (प्रत्येक का 1/6 भार, कुल 2/6)
- स्वास्थ्य आयाम-बाल मृत्यु दर और पोषण (प्रत्येक का 1/6 भार, कुल 2/6)
- जीवन स्तर आयाम- बिजली, फर्श, पीने का पानी, स्वच्छता, खाना पकाने का ईंधन और संपत्ति (प्रत्येक का 1/18 भार, कुल 2/6)
- स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर, जिसमें 10 संकेतक शामिल हैं। जो लोग इन भारित संकेतकों में से कम-से-कम एक-तिहाई (अर्थात् 33% या अधिक) में अभाव का अनुभव करते हैं, वे बहुआयामी रूप से गरीब की श्रेणी में आते हैं।
- MPI इसलिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह पारंपरिक पद्धति की तुलना में गरीबी को विभिन्न आयामों से पहचानता है जो केवल आय या मौद्रिक शर्तों से गरीबी को मापता है।
नीति आयोग के बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI)
- नीति आयोग के बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) में बिहार को सबसे अधिक गरीब राज्य माना गया है, जबकि उसके बाद झारखंड और उत्तर प्रदेश का स्थान है।
- सूचकांक के अनुसार, बिहार की 51.91% जनसंख्या, वहीं झारखंड में 42.16% और उत्तर प्रदेश में 37.79% आबादी गरीब है।
- सूचकांक में मध्य प्रदेश (36.65%) चौथे, जबकि मेघालय (32.67%) पांचवें स्थान पर है।