‘ऑपरेशन सर्चलाइट’ को पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति याह्या खान की निगरानी में पाकिस्तान की सेना ने 26 मार्च 1971 में अंजाम दिया था।
तब के पूर्वी पाकिस्तान(बांग्लादेश) में उठ रही आजादी को कुचलने वाले सैन्य अभियान को ‘ऑपरेशन सर्चलाइट‘ कोडनेम दिया गया था।
पश्चिमी पाकिस्तान की सेना ने उस समय पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) पर 25 मार्च 1971 की आधी रात को अचानक हमला कर दिया था।
हमले का प्लान यह था कि पूर्वी पाकिस्तान के प्रमुख शहरों पर 26 मार्च को कब्जा कर लिया जाए, और चुनावों में भारी सफलता हासिल करने वाले बंगाली विपक्ष को पूरी तरह खत्म कर दिया जाए।
पाकिस्तानी सेना ने बंगाली बुद्धिजीवियों, राष्ट्रवादियों और हिंदुओं को जमकर निशाना बनाया था।
इसके परिणामस्वरूप लाखों बांग्लादेशी भारत भागकर भारत आ गए। मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय और त्रिपुरा जैसे राज्यों में क्योंकि ये राज्य बांग्लादेश के सबसे करीबी राज्य हैं।
‘ऑपरेशन सर्चलाइट’ से शुरू हुई क्रूरता का अंत खिंचता चला गया और यह बांग्लादेश की आजादी के साथ ही रुक पाया।
आंकड़ों के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना की बर्बर कार्रवाई में लगभग 30 लाख निर्दोष बंगाली और 1.5 लाख के आसपास बिहारी नागरिक मारे गए थे।
पाकिस्तानी सेना के इसी ऑपरेशन के चलते बांग्लदेश की आजादी की मांग ने जोर पकड़ लिया और देश को आजादी दिलाने के लिए मुक्ति वाहिनी का गठन किया गया जिसमें सैनिक और आम नागरिक दोनों शामिल थे।
फलस्वरूप 16 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश दुनिया के नक्शे पर एक नए देश के रूप में सामने आया।