संसद की बैठक की समाप्ति

  • दोनों सदनों में संसद की बैठक को निम्नलिखित प्रावधानों के द्वारा समाप्त किया जा सकता है-
  1. स्थगन (Adjournment)
  2. अनिश्चितकाल के लिये स्थगन (Adjournment sine die)
  3. सत्रावसान (Prorogation)
  4. विघटन (राज्यसभा के लिये लागू नहीं)

स्थगन /अनिश्चितकाल के लिये स्थगन

  • स्थगन एक निश्चित समय के लिये बैठक में कामकाज को निलंबित कर देता है।
  • स्थगन कुछ घंटे, दिन या सप्ताह के लिये हो सकता है।
  • जब बैठक अगली बैठक के लिये नियत किसी निश्चित समय/तिथि के बिना समाप्त हो जाती है तो इसे अनिश्चितकाल के लिये स्थगन कहा जाता है।
  • स्थगन और अनिश्चितकाल के लिये स्थगन की शक्ति सदन के पीठासीन अधिकारी के पास होती है।
  • हालाँकि किसी सदन का पीठासीन अधिकारी उस तारीख या समय से पहले या सदन के अनिश्चितकाल के लिये स्थगित होने के बाद किसी भी समय सदन की बैठक बुला सकता है।

सत्रावसान

  • सत्रावसान शब्द का अर्थ संविधान के अनुच्छेद 85(2)(ए) के तहत राष्ट्रपति द्वारा दिये गए आदेश द्वारा सदन के एक सत्र की समाप्ति से है।
  • सत्रावसान सदन की बैठक और सत्र दोनों को समाप्त करना है और आमतौर पर यह पीठासीन अधिकारी द्वारा सदन को अनिश्चितकाल के लिये स्थगित करने के कुछ दिनों के भीतर किया जाता है। 
  • राष्ट्रपति सत्र के सत्रावसान के लिये एक अधिसूचना जारी करता है।
  • हालाँकि राष्ट्रपति सत्र के दौरान सदन का सत्रावसान भी कर सकता है।
  • यह ध्यान दिया जाना चाहिये कि बिल पेश करने के अलावा सभी लंबित नोटिस व्यपगत हो जाते हैं।
  • एक सदन के सत्रावसान और नए सत्र में उसके पुन: समवेत होने के बीच की अवधि को एक अवकाश कहा जाता है।

विघटन

  • जब भी कोई विघटन होता है, तो इससे मौजूदा सदन का कार्यकाल समाप्त हो जाता है और आम चुनाव के बाद एक नए सदन का गठन होता है।
  • केवल लोकसभा का विघटन हो सकता है राज्यसभा स्थायी सदन होने के कारण विघटित नहीं हो सकती है।

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