कंप्यूटर तथा उससे संबंधित अन्य उपकरण तथा टी.वी., वाशिंग मशीन एवं फ्रिज जैसे घरेलू उपकरण और कैमरे, मोबाइल फोन तथा उससे जुड़े अन्य उत्पाद जब चलन/उपयोग से बाहर हो जाते हैं तो इन्हें संयुक्त रूप से ई-कचरे की संज्ञा दी जाती है।
ई-कचरा में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के घटक और पुर्जे आदि शामिल हैं।
इसे दो व्यापक श्रेणियों के तहत 21 प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है
सूचना प्रौद्योगिकी और संचार उपकरण।
विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण।
ई-कचरे के प्रबंधन को लेकर वर्ष 2011 से ही भारत में कानून मौजूद है, जिसके मुताबिक केवल अधिकृत विघटनकर्त्ता (Dismantlers) और पुनर्चक्रणकर्त्ता (Recyclers) ही ई-कचरा एकत्र कर सकते हैं।
ई-कचरा (प्रबंधन) नियम, 2016 को वर्ष 2017 में लागू किया गया था।
भोपाल (मध्य प्रदेश) में घरेलू और वाणिज्यिक इकाइयों से कचरे के पृथक्करण, प्रसंस्करण और निपटान के लिये भारत का पहला ई-कचरा क्लिनिक स्थापित किया गया है।
14 अक्तूबर को अंतर्राष्ट्रीय ई-कचरा दिवस के रूप में मनाया गया। इस दिवस की शुरुआत वर्ष 2018 में हुई थी।
इस दिवस का उद्देश्य दुनिया भर में हर साल उत्पन्न होने वाले लाखों टन ई-कचरे के बारे में जागरूकता बढ़ाना है, जिसका पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।