बीटिंग द रिट्रीट
- 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के बाद तीसरे दिन 29 जनवरी को ‘बीटिंग द रिट्रीट’ समारोह का आयोजन किया जाता है।
- यह गणतंत्र दिवस समारोह के समापन का प्रतीक होता है।
- यह कार्यक्रम नई दिल्ली के ऐतिहासिक विजय चौक पर आयोजित होता है।
- इसमें अलग-अलग बैंड की परफॉर्मेंस के बाद रिट्रीट का बिगुल वादन होता है, जब बैंड मास्टर राष्ट्रपति के नजदीक जाते हैं और बैंड वापिस ले जाने की अनुमति मांगते हैं, तब सूचित किया जाता है कि समापन समारोह पूरा हो गया है।
अबाइड विद मी
- ‘बीटिंग द रिट्रीट’ समारोह में कई गानों की धुन बजाई जाती है ‘अबाइड विद मी’ गीत का धुन इसी में एक होता था, जिसे इस बार नहीं बजाया गया।
- दुनियाभर में मशहूर ‘अबाइड विद मी’ एक ईसाई भजन है।
- इस भजन को स्कॉटिश कवि हेनरी फ्रांसिस लाइट ने साल 1847 में लिखा था।
- प्रथम विश्व युद्ध के दौरान इसकी धुन काफी लोकप्रिय हुई थी।
- बेल्जियम से फरार हुए ब्रिटिश सैनिकों की मदद करने वाली ब्रिटिश नर्स इडिथ कैवेल ने जर्मन सैनिकों के हाथों मरने से पहले इस गीत को गाया था।
- भारत में यह धुन तब प्रसिद्ध हुआ, जब महात्मा गांधी ने इसे कई जगह बजवाया। उन्होंने इस धुन को सबसे पहले साबरमती आश्रम में सुना था। वहां मैसूर पैलेस बैंड इसे प्ले कर रहा था।
- यह धुन गांधीजी के आश्रम में रेगुलर तौर पर बजाया जाती थी।
- आश्रम में कई और तरह के भजन भी जैसे कि ‘वैष्णव जन तो’, ‘रघुपति राघव राजाराम’ और ‘लीड काइंडली लाइट‘ आदि प्ले किए जाते थे।
- साल 1950 से ‘बीटिंग द रिट्रीट’ सेरेमनी में भी इस धुन को शामिल कर लिया गया और इसे बजाया जाने लगा।
- लेकिन अब इसे औपनिवेशिक अतीत से प्रभावित परंपरा बताकर इस धुन को हटा दिया गया।
- इसकी जगह अब ज्यादा से ज्यादा इस साल केवल भारत की धुनें शामिल की गयी।
- इस साल बजाई जाने वाली धुनों में बाकी मिलिट्री गीतों के अलावा, लता मंगेशकर का गाया गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ को शामिल किया गया है। इसके अलावा, इकबाल के लिखे गीत ‘सारे जहां से अच्छा’ को भी शामिल किया गया है, जिसे समारोह की आखिरी धुन के तौर पर बजाया गया ।
NOTE-साल 2020 ‘बीटिंग द रिट्रीट’ समारोह में भी ‘अबाइड विद मी’ की धुन नहीं बजाई गई थी, लेकिन विवाद बढ़ने पर साल 2021 में इस धुन को दोबारा लिस्ट में शामिल कर लिया गया। हालांकि इस बार अभी तक इस धुन को हटाने पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।