रेड सैंडर
- रेड सैंडर यानी रक्त चंदन की लकड़ी भारत में सर्वाधिक तस्करी की जाने वाली लकड़ी है।
- यह लकड़ी पूरी दुनिया में केवल शेषाचलम की पहाड़ी क्षेत्र और उससे लगे कुछ क्षेत्रों में पाई जाती है।
- शेषचलम की पहाड़ियाँ पूर्वी घाट की महत्वपूर्ण पर्वत शृंखला है, जो दक्षिण भारत के दक्षिणी आंध्र प्रदेश राज्य में विस्तारित है। इसी पहाड़ी पर तिरूपति का मन्दिर है।
- आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के क्षेत्र इसके मूल निवास स्थान हैं। यानी यह इसी क्षेत्र की एंडेमिक (endemic) है।
- शेषाचलम हिल्स और नल्लमाला पहाड़ियों में इसकी तस्करी जारी है।
- पालकोंडा ,कडप्पा ,चित्तूर , अनंतपुर प्रकाशम, नेल्लोर इन सब क्षेत्रों में यह लकड़ी पाई जाती है।
- ब्लैक मार्केट में 1 टन रेड सैंडर की कीमत 15 से 30 लाख है।
- रेड सैंडर सैंडलवुड यानी चंदन की एक Non fragrant variety है । यह शुष्क पर्णपाती वन का उदाहरण है।
- रेड सैंडर का इस्तेमाल औषधियां बनाने ,कॉस्मेटिक्स, म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट( जापान में) , फर्नीचर बनाने और aphrodisiac यानी कामोद्दीपक के रूप में किया जाता है।
- यह 500 फीट से 3000 फीट की ऊंचाई पर पाए जाते हैं।
- रेड सैंडर की लकड़ी उपयोग में आने में 20 से 25 वर्ष लग जाते हैं ।
- चीन, जापान और अन्य दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में और दक्षिण एशियाई देशों में भी इसकी अवैध तस्करी बड़े पैमाने पर हो रही है।
- भारत रेडसैंडर्स के स्मगलरों से निपटने के लिए इंटरपोल की मदद भी मांग चुका है क्योंकि ऐसे तस्कर श्रीलंका ,नेपाल, सिंगापुर, म्यानमार में भारत की इस दुर्लभ लकड़ी की तस्करी में लगे हुए हैं।
- क्राइम इन्वेस्टीगेशन डिपार्टमेंट(CID) जो इंटरपोल की आंध्र प्रदेश में नोडल एजेंसी है, उसने इंटरपोल के साथ इस मुद्दे पर सहयोगात्मक गठजोड़ करने के भी प्रयास किए हैं।
- इंटरपोल ने ऐसे तस्करों के लिए रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी कर रखे हैं ।
- इसके अलावा आंध्र प्रदेश ने रेड सैंडर्स एंटी स्मगलिंग टास्क फोर्स का भी गठन किया था ताकि इस की अवैध तस्करी को रोका जा सके।
- रेड सैंडर यानी रक्त चंदन की लकड़ी जो अभी तक अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ(IUCN) के रेड डेटा लिस्ट में नियर थ्रेटेंड ( Near Thretened) के रूप में सूचीबद्ध थी।
- IUCN ने हाल ही में रेड सैंडर को संकटापन्न की सूची में डाल दिया है।