शंकरन नायर काजन्म 11 जुलाई 1857को केरल के पलक्कड़ जिले में हुआ था।
इनका पूरा नाम शंकरन नायर चित्तूर था।
ये एक भारतीय न्यायविद एवं राजनेता थे।
इन्होंने 1877 में प्रेसीडेंसी कॉलेज मद्रास से शिक्षा ली और उसके बाद मद्रास लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की।
वर्ष 1880 में वे मद्रास हाई कोर्ट के वकील बन गए।
वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़ गए और 1897 में कांग्रेस के अध्यक्ष भी चुने गए।
वर्ष 1902 में लॉर्ड कर्ज़न ने उन्हें रैले विश्वविद्यालय आयोग का सदस्य नियुक्त किया।
वर्ष 1904 में ब्रिटेन की महारानी ने इन्हें ‘कम्पैनियन ऑफ द इंडियन एम्पायर’ के रूप में नियुक्त किया और 1912 में उन्हें नाइटहुड की उपाधि प्रदान की गई।
वर्ष 1908 में उन्हें मद्रास उच्च न्यायालय में स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।
वर्ष 1919 में जब जलियांवाला नरसंहार हुआ था तो उस वक्त वे वायसराय की एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य थे।
जलियांवाला नरसंहार घटना के बारे में पता चला तो उन्होंने अपने पद से तुरंत इस्तीफा दे दिया था।
यह शंकरन के प्रयासों का ही परिणाम था कि अंग्रेजों को जलियांवाला नरसंहार की जांच के लिए लॉर्ड विलियम हंटर की अगुवाई में हंटर कमीशन नियुक्त करना पड़ा था।
वायसराय की कार्यकारी परिषद में शामिल होकर शंकरन ने मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों में भारत के हित वाले प्रावधानों के विस्तार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
24 अप्रैल 1934 को शंकर नायर का निधन हो गया।
मशहूर बॉलीवुड फिल्मकार करण जौहर ने ऐलान किया था कि वे सी. शंकरन नायर की जीवन पर आधारित एक फिल्म बनाएंगे।
इस फिल्म का नाम होगा ‘अनटोल्ड स्टोरी आफ सी. शंकरन नायर’ जो कि धर्मा प्रोडक्शंस और स्टील एंड स्टील मीडिया का संयुक्त प्रोडक्शन होगा।
यह फिल्म ‘द केस दैट शूक दि एंपायर’ पुस्तक पर आधारित होगी।