मैगस्थनीज
- मैगस्थनीज एक यूनानी दूत था।
- जिसे यूनानी शासक सेल्यूकस ने अपना दूत बनाकर चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में भेजा था।
- वह 302 ई.पू. से 298 ई.पू. तक मौर्य साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र में रहा था
- भारत में उसने जो कुछ भी देखा-सुना, उसे उसने ‘इंडिका’ नामक अपने ग्रंथ मे लिपिबद्ध किया।
- उसने अपने ग्रंथ ‘इंडिका’ में मौर्यकालीन इतिहास वर्णन का किया है।
- दुर्भाग्यवश उसका मूल ग्रन्थ नष्ट हो गया है।
- शानबैक ने उसके द्वारा दिए गए विवरण का संग्रह कर अंग्रेजी अनुवाद किया है।
डायमेकस
- सीरिया के शासक एंटिओकस प्रथम ने डायमेकस को बिंदुसार के दरबार में दूत बनाकर भेजा था।
डायोनिसियस
- यह मिस्र के राजा टॉलमी फिलाडेल्फस का राजदूत था।
- डायोनिसियस मौर्य सम्राट् बिंदुसार के दरबार में आया था।
फाह्यान
- फाह्यान नामक चीनी बौद्ध यात्री चन्द्रगुप्त द्वितीय के समय में भारत आया था।
- इसका मुख्य उद्देश्य बौद्ध ग्रन्थों का अध्ययन और अनुशीलन करना था।
- धार्मिक प्रवृत्ति का होने के कारण इसने भारत की धार्मिक अवस्था विशेषकर बौद्ध धर्म की स्थिति पर विशेष प्रकाश डाला है।
ह्वेनसांग
- यह बौद्ध चीनी यात्री सम्राट हर्षवर्द्धन के शासनकाल में भारत आया था।
- यह चौदह (629-43 ई.) वर्ष भारत में रहा।
- उसने लगभग सम्पूर्ण भारत का परिभ्रमण किया।
- वह कुछ वर्ष सम्राट हर्षवर्धन के दरबार (कन्नौज) में रहा।
- उसने अपने अनुभवों को “सी-यू-की” नामक पुस्तक में लेखबद्ध किया।
- ह्वेनसांग को तीर्थयात्रियों का राजकुमार कहा जाता है।
इत्सिंग
- इत्सिंग चीनी (671-95 ई.) बौद्ध यात्री था।
- इसने अपनी पुस्तक प्रमुख बौद्ध भिक्षुओं की आत्मकथाएँ में समकालीन भारत का वर्णन किया है।
अलबरुनी
- 11वीं शताब्दी में महमूद गजनवी का प्रमुख दरबारी था तथा उसके साथ भारत आया था।
- अपने ग्रन्थ “तहकीक-ए-हिन्द” में इसने भारत के सबंध में अपना विस्तृत विवरण दिया है।
- अलबरुनी के अनुसार भारतीय समाज 16 जातियों में विभाजित था।
- उसकी किताब में ब्राह्मणों को विशेषाधिकार, वैश्य जाति की दशा में गिरावट, बाल विवाह, सती प्रथा और विधवा विवाह जैसी कुप्रथाओं का वर्णन है।
मार्को पोलो
- मार्को पोलो एक इटली का यात्री था।
- 13वीं शताब्दी में विश्व भ्रमण के उद्देश्य से निकला और 1292 ई. में भारत के पांड्य राज्य के कयाल बंदरगाह पर आया।
- उसने अपने यात्रा वृत्तांत को “The Travels” नामक पुस्तक में लिखा, जिसमें दक्षिण के राज्यों की आश्चर्यजनक आर्थिक समृद्धि, विदेशी व्यापार और वाणिज्य का वर्णन किया गया है।
- इसकी एक अन्य पुस्तक द बुक ऑफ सर–मार्कोपोलो में भारत के आर्थिक इतिहास का वर्णन है।
चाऊ जू कुआ
- यह चीनी व्यापारी (1225-54 ई) था ।
- जिसने चु-फाण-ची नामक पुस्तक में भारत का व्यापारिक वर्णन किया है।
निकोलो कोंटी
- निकोलो कोंटी इटली का निवासी था जिसने विजयनगर साम्राज्य की यात्रा की।
- निकोलो कोंटी विजयनगर आने वाला पहला विदेशी यात्री था।
- वह विजयनगर के राजा देवराय प्रथम के शासनकाल में 1420-21 ई. में पहुँचा था ।
- उसने अपनी यात्रा के विवरणों को लैटिन भाषा में लिखा था ।
अब्दुररज्जाक
- यह फारस का राजदूत था।
- वह 1442-43 ई. में विजयनगर के राजा देवराज द्वितीय के दरबार में आया था।
- उसने अपने विवरण में विजयनगर राज्य के व्यापार, उद्योगों, बन्दरगाहों, कृषि, निवासियों के रहन-सहन और रीति-रिवाजों, खजाने आदि का अच्छा वर्णन किया है।
बारबोसा
- पुर्तगाली यात्री डुआर्ट बारबोसा कृष्णदेव राय के समय में विजयनगर की यात्रा पर आया था।
- यह (1510-16 ई.) पुर्तगाली गवर्नर अल्बुकर्क का दुभाषिया (translator) था।
- इसने अपना यात्रा का वृत्तांत “The book of Duarte Barbosa” नामक पुस्तक में लिखा है इसने सती प्रथा का वर्णन है।
डोमिनगोस पेरेज
- यह एक पुर्तगाली था।
- 1510 ई. में विजयनगर के शासक कृष्णदेव राय के दरबार में आया।
- उसने अपने यात्रा विवरण में विजयनगर का तथ्यपूर्ण वर्णन किया है।
- उसने तत्कालीन सामाजिक बुराइयों का वर्णन अपनी पुस्तक डोमिनगोस की कथा में – बलि प्रथा, पशु यज्ञों, सती प्रथा, जातिगत बंधन, वेश्यावृत्ति, देवदासी प्रथा आदि का स्पष्ट वर्णन किया है।
विलियम हॉकिन्स
- विलियम हॉकिन्स इंग्लैंड के राजा जेम्स प्रथम द्वारा भेजा गया राजदूत था।
- जो 1608 ई.-1611 ई. तक जहाँगीर के दरबार में रहा था।
विलियम फिंच
- फिंच हाकिंस के साथ ही 1608 में सूरत बंदरगाह पर उतरा था ।
- उसने 17वीं शताब्दी के भारत के व्यापारिक मार्गों, सूरत, बुरहारनपुर, उज्जैन, फतेहपुर सीकरी जैसे विख्यात नगरों, दुर्गों और जेलों, धार्मिक परम्पराओं आदि का विस्तृत वर्णन किया है ।
- सलीम और अनारकली की कथा का उल्लेख करने वाला वह एकमात्र विदेशी यात्री था ।
थॉमस रो
- थॉमस रो एक ब्रिटिश दूत था ।
- जिसने 1615 ई. में जहाँगीर के साथ मांडू और अहमदाबाद की यात्रा की ।
- यह भारत में चार वर्ष रहा था।
- उसने मुग़ल साम्राज्य और अपनी यात्रा का विवरण अपनी पुस्तक A voice to East Indies में दिया है।
- उसने मुग़ल दरबार में होने वाले षड्यंत्रों और भ्रष्टाचार के विषय में लिखा।
हैबर्नियर
- यह फ्रेंच यात्री जो पेशे से चिकित्सक था।
- यह भारत में 1658-1668 ई. के बीच रहा था ।
- औरंगजेब के शासनकाल में भारत आया इसने लगभग पूरे भारत की यात्रा की थी।
- इसने अपने ग्रन्थ “Travels in the Mughal Empire” में तत्कालीन हिंदू-मुस्लिम समाज के रस्म-रिवाजों और व्यापार-वाणिज्य आदि का सजीव और तथ्यपूर्ण विवरण लिखा है ।