पुनर्जागरण

  • पुनर्जागरण (फ्रांसीसी भाषा का शब्द है) जिसका अर्थ होता है- ‘फिर से जागना’।
  • पुनर्जागरण का प्रारंभ इटली ( यूरोप) के फ्लोरेंस नगर से माना जाता है। यह एक बौद्धिक आंदोलन था।
  • पुनर्जागरण के दौरान कला (Art) के क्षेत्र में सर्वाधिक विकास चित्रकला का हुआ। ‘मोनालिसा’ तथा ‘लियोनार्दो – द – विंसी’ प्रसिद्ध चित्र थे।
  • इटली के महान् कवि दांते को ‘पुनर्जागरण का अग्रदूत’ भी माना जाता है। 
  • आधुनिक विश्व का प्रथम राजनीतिक चिंतक मैकियावेली को माना जाता है। इनका जन्म भी इटली में ही हुआ था। मैकियावेली ‘प्रिंस’ नामक पुस्तक के रचयिता थे। 
  • इटली के निवासी पेट्रॉक को ‘मानवतावाद का संस्थापक’ माना जाता है। ‘मानवतावाद’ (Humanism) पुनर्जागरण की सबसे प्रमुख विशेषता थी।

धर्म-सुधार आंदोलन

  • यूरोप में धर्म-सुधार आंदोलन वर्ष 1517 में (जर्मनी में) मार्टिन लूथर किंग के नेतृत्व में प्रारंभ हुआ।

इंग्लैंड की क्रांति

  • इंग्लैंड में स्टुअर्ट राजवंश का शासन वर्ष 1603 में प्रारंभ हुआ। इस राजवंश के लगभग सभी शासक दैवीय अधिकारों में विश्वास रखते थे।
  • इंग्लैंड में (1642–49) गृहयुद्ध (Civil war) चार्ल्स I के शासनकाल में हुआ। गृहयुद्ध के पश्चात् इसे फांसी दी गई। इसके पश्चात् चार्ल्स II शासक बना, परंतु वह भी निरंकुश निकला।
  • चार्ल्स II के पश्चात् जेम्स II इंग्लैंड का शासक बना, परंतु वह भी राजा के असीमित दैवीय अधिकारों में विश्वास रखता था।
  • जेम्स II के क्रियाकलापों से इंग्लैंड में 1688 में ‘रक्तहीन क्रांति’ या ‘गौरवपूर्ण क्रांति’ हुई। इस क्रांति में एक भी बूंद खून की नहीं बही ।
  • क्रांति के बाद जेम्स II को (निरंकुश शासक एवं प्रोटेस्टेंट विरोधी नीति के कारण) राजगद्दी छोड़नी पड़ी।
  • गौरवपूर्ण क्रांति (1688) के बाद इंग्लैंड में संसद की सर्वोच्चता की स्थापना हुई।  क्रांति के बाद (1689 में) ब्रिटेन की संसद तत्कालीन सम्राट् जॉन विलियम से एक ‘बिल ऑफ राइट्स’ पर हस्ताक्षर कराने में सफल रही।

औद्योगिक क्रांति

  • आधुनिक युग में (अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में) होने वाली सबसे बड़ी क्रांति ‘औद्योगिक क्रांति’ थी।
  • 18वीं शताब्दी के मध्य में औद्योगिक क्रांति का प्रारंभ सर्वप्रथम इंग्लैंड में हुआ। औद्योगिक क्रांति कच्चे माल की प्रचुरता तथा इंग्लैंड के पास सर्वाधिक उपनिवेशों (Colonies) के कारण हुई।
  • इंग्लैंड में सर्वप्रथम औद्योगिक क्रांति की शुरुआत सूती कपड़ों के उद्योग से प्रारंभ हुई। ܀
  • औद्योगिक क्रांति के तहत (18वीं सदी में) विभिन्न वैज्ञानिक आविष्कारों के साथ यंत्रों का भी आविष्कार हुआ। लगभग प्रत्येक व्यवसाय के लिए कारखानों एवं मशीनों का निर्माण हुआ। उत्पादन के क्षेत्र में मशीनों से जो परिवर्तन हुआ, उसे ‘औद्योगिक क्रांति’ कहा गया।
  • सर विलियम ऑर्कराइट ने वर्ष 1769 में स्पिनिंग मशीन का पेटेंट कराया, इसे औद्योगिक क्रांति की ओर प्रथम कदम माना जाता है।
  • इंग्लैंड के बाद वर्ष 1815 में फ्रांस, जर्मनी आदि देशों में भी मशीनों के बढ़-चढ़कर प्रयोग होने लगे, जिसके चलते वहां भी औद्योगिक क्रांति की शुरुआत हुई। एशिया में सर्वप्रथम जापान जैसे छोटे से राष्ट्र में आधुनिक उद्योगों का विकास हुआ।

अमेरिका का स्वतंत्रता संग्राम

  • अमेरिकी क्रांति / स्वतंत्रता संग्राम का तत्कालीन कारण ‘बोस्टन-टी-पार्टी’ था।  16 दिसंबर, 1773 को ईस्ट इंडिया कंपनी के चाय से लदे जहाज से चाय की 340 बोरियों/ बक्सों को (बोस्टन बंदरगाह पर ) समुद्र में फेंक दिया गया था। इस घटना को ही ‘बोस्टन टी-पार्टी’ के नाम से जाना जाता है।
  • अमेरिका का प्रसिद्ध ‘स्वतंत्रता का घोषणा पत्र’ (Declaration of Independence) 4 जुलाई, 1776 को लिखकर तैयार हुआ। इसके लेखक टॉमस जैफरसन थे।
  • 4 जुलाई, 1776 को ही फिलॉडेल्फिया (सं.रा. अमेरिका) में उपनिवेशवासियों की बैठक में ‘डिक्लेरेशन ऑफ इंडिपेंडेस’ स्वीकार की गई। इसके तहत 13 संयुक्त उपनिवेशों को (ब्रिटेन से) स्वतंत्र घोषित किया गया।
  • अमेरिकी क्रांति से पूर्व उत्तर अमेरिका के कुल 13 उपनिवेशों पर ब्रिटेन का शासन था। • जॉर्ज वाशिंगटन अमेरिकी क्रांति के नायक थे। इन्हें उपनिवेशों का सेनापति नियुक्त किया गया। बाद में, ये अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति बने।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका का नया (वर्तमान) संविधान वर्ष 1789 में लागू हुआ। यह विश्व का प्रथम लिखित संविधान (Written Constitution ) है।
  • अमेरिका में गृहयुद्ध वर्ष 1861 से 1865 तक उत्तरी तथा दक्षिणी राज्यों के मध्य हुआ। अमेरिकी गृहयुद्ध (Civil War) की शुरुआत 12 अप्रैल, 1861 में दक्षिणी कैरोलिना राज्य से हुई।
  • अमेरिकी गृहयुद्ध के दौरान अमेरिका का राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन था। लिंकन ने (गृहयुद्ध के दौरान) दास प्रथा (Slavery) का उन्मूलन 1 जनवरी, 1863 में किया। लिंकन की हत्या 4 मार्च, 1865 को हुई।
  • अमेरिकी गृहयुद्ध की समाप्ति 26 मई, 1865 को हुई।

फ्रांस की राज्य क्रांति

  • फ्रांसीसी क्रांति में मांटेस्क्यू एवं रूसो जैसे दार्शनिकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। रूसो प्रजातंत्रात्मक पद्धति का समर्थक था।
  • फ्रांसीसी क्रांति से पूर्व फ्रांस में लुई 14वां नामक शासक हुआ, जो कहा करता था कि ‘मैं ही राज्य हूँ और मेरे ही शब्द कानून
  • लुई 16वां फ्रांस की गद्दी पर 1774 में बैठा।
  • फ्रांस की राज्य क्रांति वर्ष 1789 में लुई 16वें के शासनकाल में ही हुई। लुई 16वें की पत्नी ऑस्ट्रिया की राजकुमारी एंतोएनेत थी। क्रांति के बाद इसे फांसी हुई। 14 जुलाई, 1789 को क्रांतिकारियों ने पेरिस स्थित बास्तील की जेल का फाटक तोड़कर बंदियों को मुक्त कराया। इसी दिन (14 जुलाई) की याद में फ्रांस में प्रतिवर्ष ‘राष्ट्रीय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। 
  • पूरे विश्व को फ्रांस की राज्य क्रांति की प्रमुख देन स्वतंत्रता, समानता एवं बंधुता है।  क्रांति के बाद लुई 16वें को देशद्रोह के अपराध में फांसी दी गई।
  • सन् 1804 में, नेपोलियन बोनापार्ट फ्रांस का सम्राट् बना । नेपोलियन को आधुनिक फ्रांस का निर्माता माना जाता है।
  • वाटरलू का युद्ध नेपोलियन एवं मित्र राष्ट्रों के बीच 18 जून, 1815 में हुआ। इस युद्ध में नेपोलियन पराजित हुआ और उसे कैद कर सेंट हेलेना द्वीप भेज दिया गया। इसी टापू में नेपोलियन की मृत्यु वर्ष 1821 में हुई।
  • यूरोप के राष्ट्रों ने ( मित्र राष्ट्रों ने) ‘वियना कांग्रेस समझौते के तहत फ्रांस के प्रभुत्व को समाप्त कर दिया।

जर्मनी का एकीकरण

  • बिस्मार्क का जन्म 1 अप्रैल, 1815 को ब्रैडनबर्ग में हुआ था। वह 1862 में प्रशा (जर्मनी) का चांसलर बना।
  • 19वीं शताब्दी में जर्मनी अनेक छोटे-छोटे राज्यों में बंटा हुआ था, जर्मनी का सबसे शक्तिशाली राज्य था। जिनमें प्रशा
  • जर्मनी का एकीकरण करने का श्रेय बिस्मार्क को जाता है। बिस्मार्क ने ‘लौह एवं रक्त की नीति’ का अनुसरण करते हुए जर्मनी का एकीकरण किया। जर्मनी का एकीकरण 19वीं शताब्दी की एक प्रमुख घटना थी।
  • वर्ष 1815 से 1850 तक जर्मनी पर ऑस्ट्रिया का आधिपत्य था।
  • वर्ष 1870 में प्रशा (जर्मनी) और फ्रांस के बीच 15 जुलाई, 1870 को ‘सेडान का युद्ध’ हुआ। इस युद्ध में फ्रांस की पराजय हुई। सेडान के युद्ध के पश्चात् ही जर्मनी का पूर्ण एकीकरण संभव हुआ।

रूस की क्रांति

  • रूस की क्रांति वर्ष 1917 में हुई। रूसी क्रांति का तत्कालीन कारण प्रथम में रूस की पराजय थी। विश्व युद्ध
  • रूस में निरंकुश तानाशाह जार निकोलस II को 15 मार्च, 1917 को जनविद्रोह / क्रांति के चलते गद्दी छोड़नी पड़ी। इस प्रकार रूस में निरंकुश राजशाही का अंत हुआ।
  • रूस में साम्यवादी पार्टी (क्रांति के बाद) वैचारिक मतभेदों के कारण दो भागों में बंट गई। एक, अल्पमत वाला दल ‘मेनशेविक’ कहलाया, जिसका नेता करेंसकी था; दूसरा, बहुमत वाला दल ‘बोल्शेविक’ कहलाया, जिसका नेता लेनिन (Lenin) था।
  • जारशाही की समाप्ति के बाद सत्ता मेनशेविको के हाथ में आई, जिसका प्रधानमंत्री करेंसकी था, परंतु यह सरकार जनता की समस्याओं का निवारण न कर सकी, जिसके चलते लेनिन के नेतृत्व में बोल्शेविकों ने बल प्रयोग द्वारा सत्ता पलट दी (7 नवंबर, 1917 को), करेंसकी को देश छोड़ना पड़ा।
  • लेनिन के नेतृत्व में बोल्शेविकों ने नई (साम्यवादी) सरकार का गठन किया। यह साम्यवादी शासन का पहला प्रयोग रूस में ही हुआ। ट्राटस्की को विदेश मंत्री बनाया गया।

प्रथम विश्व युद्ध (1914 से 1918 तक )

  • प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत 28 जुलाई, 1914 को हुई। इस युद्ध की समाप्ति 11 नवंबर, 1918 को हुई।
  • प्रथम विश्व युद्ध का तात्कालिक कारण था- ऑस्ट्रिया के ड्यूक ( राजकुमार ) फर्डिनेंड की बोस्निया की राजधानी सराजेवो में हत्या |
  • प्रथम विश्व युद्ध के दौरान विश्व दो भागों में बंटा था – एक मित्र राष्ट्र और दूसरा, धुरी राष्ट्र ।
  • मित्र राष्ट्रों में शामिल थे- इंग्लैंड, फ्रांस, रूस, सर्बिया, जापान, पुर्तगाल एवं अमेरिका प्रारंभ में अमेरिका (USA) तटस्थ रहा, परंतु, जर्मनी द्वारा अमेरिकी जहाजों को डुबोने के बाद वह मित्र राष्ट्रों की तरफ से युद्ध में शामिल हो गया।
  • धुरी / शत्रु राष्ट्रों में शामिल थे- जर्मनी, इटली, ऑस्ट्रिया, हंगरी, बुल्गारिया व तुर्की। बाद में तुर्की धुरी/शत्रु राष्ट्रों से अलग होकर मित्र राष्ट्रों के साथ हो गया। •
  • प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के कुछ महीने बाद 18 जून, 1919 को पेरिस में शांति सम्मेलन का आयोजन हुआ। मित्र राष्ट्रों ने पराजित जर्मनी के साथ अन्यायपूर्ण ‘वर्साय की संधि’ की।
  • युद्ध के उपरांत विश्व में शांति की स्थापना हेतु (वर्ष 1920 में) एक नए अंतर्राष्ट्रीय संस्था/संगठन ‘राष्ट्र संघ’ (League of Nation) की स्थापना की गई।

इटली में फासीवाद ( फासिस्ट ) का उदय

  • ‘फासिज्म’ का जन्मदाता मुसोलिनी था। मुसोलिनी के दल का नाम ‘फासिस्टवाद’ था। सर्वप्रथम फासिज्म का उदय इटली में ही हुआ था ( मुसोलिनी द्वारा ) ।
  • काली कमीज पहनते थे। फासीवाद राष्ट्रवाद का समर्थक था। फासिस्टों ने रोमन साम्राज्य प्रतीकों को भी स्वीकार किया था।

फासिस्ट पार्टी के स्वयंसेवक

  • वर्ष 1919 में, मुसोलिनी ने ‘फासिस्ट पार्टी की स्थापना की थी। प्रारंभ में, मुसोलिनी की पार्टी को बहुत कम स्थान प्राप्त हुए, परंतु उसने जल्द ही छल-कपट एवं कूटनीति से इटली की सत्ता पर कब्जा कर लिया और इटली का तानाशाह बन बैठा।
  • वर्ष 1935 में, मुसोलिनी ने अबीसीनिया पर आक्रमण कर राष्ट्रसंघ की अवहेलना प्रारंभ कर दी।
  • वर्ष 1936 में, मुसोलिनी (इटली) ने जर्मनी और जापान के साथ मिलकर ‘रोम-बर्लिन-टोकियो’ धुरी का निर्माण किया।
  • मुसोलिनी के समर्थक उसे ‘ड्यूस’ कहते थे।
  • द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मुसोलिनी ने 10 जून, 1939 को मित्र राष्ट्रों के खिलाफ जंग की घोषणा की।
  • द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् इटली के युद्ध में पराजित होने पर मुसोलिनी के समर्थकों ने उसे गोली मार दी।

जर्मनी में नाजीवाद का उदय

  • जर्मनी में नाजीदल का उदय हिटलर के नेतृत्व में हुआ। नाजीवाद वास्तव में फासीवाद का ही जर्मन रूप था।
  • हिटलर प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी की सेना में भर्ती हुआ था, परंतु युद्ध के उपरांत अन्यायपूर्ण ‘वर्साय की संधि’ से काफी दुखी हुआ और उसने ‘जर्मन वर्कर्स पार्टी’ की सदस्यता ग्रहण की।
  • हिटलर ने बाद में ‘जर्मन वर्कर्स पार्टी’ (German Workers Party) का नाम बदलकर ‘नेशनल सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी’ रख लिया। यह पार्टी ही ‘नाजी पार्टी’ के नाम से प्रसिद्ध हुई।
  • हिटलर के समर्थक उसे फ्यूरर कहकर पुकारते थे। हिटलर के अनुयायी बांह पर ‘स्वास्तिक’ का चिह्न लगाते थे।
  • हिटलर वर्ष 1933 में जर्मनी का चांसलर नियुक्त हुआ। अगले ही वर्ष (1934) में वह जर्मनी का तानाशाह बन गया।
  • हिटलर का प्रमुख नारा था- एक राष्ट्र, एक देश, एक नेता ।
  • हिटलर की आत्मकथा का नाम ‘मेन केम्फ’ (मेरा संघर्ष) है। यह उसने (1923-24 में) जेल में लिखी थी।
  • हिटलर यहूदियों से नफरत करता था।
  • 1 सितंबर, 1939 को हिटलर ने पोलैंड पर आक्रमण किया, जिसके फलस्वरूप द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत हुई।
  • विश्व युद्ध में जर्मनी की पराजय के पश्चात् हिटलर ने 30 अप्रैल, 1945 को आत्महत्या कर ली।

द्वितीय विश्व युद्ध (1939-45 तक )

  • द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत 1 सितंबर, 1939 को हुई, जर्मनी द्वारा पोलैंड पर आक्रमण किए जाने पर।
  • यह युद्ध कुल 6 वर्षों तक चला (1 सितंबर, 1939 से 14 अगस्त, 1945 तक) इस युद्ध में लगभग 61 देशों ने भाग लिया।
  • इस युद्ध मित्र राष्ट्रों में शामिल थे- सोवियत रूस ( Russia), इंग्लैंड (ब्रिटेन), फ्रांस, चीन, अमेरिका एवं अन्य राष्ट्र आदि। चूंकि अमेरिका प्रारंभ में द्वितीय विश्व युद्ध से तटस्थ रहा, परंतु जापान द्वारा 7 सितंबर, 1941 को पर्ल हार्बर पर आक्रमण किए जाने के बाद वह मित्र राष्ट्रों की तरफ से में कूद पड़ा। युद्ध
  • द्वितीय विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्रों द्वारा पराजित होने वाला अंतिम देश जापान था। ॐ द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका ने जापान के शहर हिरोशिमा पर (6) अगस्त, 1945 को) ‘फैरमैन’ नामक परमाणु बम गिराया, जबकि ( 9 अगस्त, 1945 को) जापान के एक अन्य शहर नागासाकी पर अमेरिका ने ‘लिटल बॉय’ नामक परमाणु बम गिराया।
  • द्वितीय विश्व युद्ध की सबसे बड़ी देन ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ (UNO) की स्थापना रही। युद्ध के पश्चात् (24 अक्टूबर, 1945 को) अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के उद्देश्य से यू.एन.ओ. (UNO) की स्थापना की गई।

चीनी क्रांति

  • वर्ष 1911 की चीनी क्रांति का जनक डॉ. सनयात सेन को माना जाता है। इसी क्रांति के तहत वर्ष 1911 में चीन में मंचू राजवंश (राजतंत्र) का अंत हुआ।  वर्ष 1912 में डॉ. सनयात सेन चीनी गणतंत्र के प्रथम राष्ट्रपति निर्वाचित हुए।
  • डॉ. सनयात सेन द्वारा स्थापित ‘तुंग मेंग-हुई’ पार्टी का नाम बदलकर वर्ष 1912 में ‘कुओमितांग’ रखा गया। वर्ष 1925 में डॉ. सनयात सेन की मृत्यु हुई।  डॉ. सनयात सेन की मृत्यु के पश्चात् च्यांग काई शेक कुओमितांग दल के अध्यक्ष / प्रधान बने।
  • चीन में साम्यवादी (कम्युनिस्ट) पार्टी की स्थापना वर्ष 1921 में हुई। च्यांग काई शेक इस पार्टी का विरोधी था। साथ ही वह साम्यवादियों का भी विरोधी था।
  • चीन में गृहयुद्ध (Civil war) 1928-36 तक चला। गृहयुद्ध में च्यांग काई शेक की हार हुई और वह फारमोसा भाग गया।
  • द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 21 नवंबर, 1949 को माओ त्से तुंग के नेतृत्व में चीन में गणराज्य की स्थापना हुई। माओ चीन के राष्ट्रपति बने । माओ को ही ‘आधुनिक साम्यवादी चीन का निर्माता’ माना जाता है।

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