भारत के महान्यायवादी (Attorney-General of India)
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 76 के तहत महान्यायवादी(अटॉर्नी-जनरल) का प्रावधान है।
भारत के महान्यायवादी की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
वह भारत का सर्वोच्च कानून अधिकारी होता हैं।
भारत का महान्यायवादी बनने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनने की योग्यता होनी चाहिए।
अटॉर्नी-जनरल के लिए कोई विशिष्ट कार्यकाल नहीं है और वह भारत के राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण करता है।
अटॉर्नी-जनरल को राष्ट्रपति द्वारा किसी भी समय हटाया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता आर वेंकटरमणि को तीन साल की अवधि के लिए भारत का अटॉर्नी जनरल नियुक्त किया गया है।
आर. वेंकटरमणि
आर. वेंकटरमणि एक वकील हैं तथा उन्हें सर्वोच्च न्यायालय में 42 वर्षों का कार्य अनुभव है।
1977 में बार काउंसिल ऑफ तमिलनाडु में दाखिला लिया था।
1982 में सुप्रीम कोर्ट में एक स्वतंत्र प्रैक्टिस की स्थापना की थी
1997 में उन्हें सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था।
उन्होंने संवैधानिक कानून, अप्रत्यक्ष करों का कानून, मानवाधिकार कानून, नागरिक और आपराधिक कानून, उपभोक्ता कानून और सेवाओं से संबंधित कानून जैसे विभिन्न शाखाओं का अभ्यास किया।
2001 में जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त और अंतर्राष्ट्रीय न्याय आयोग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित कार्यशाला में आमंत्रित किया गया था।
वरिष्ठ अधिवक्ता आर. वेंकटरमणि एफ्रो-एशियाई क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय की गतिविधियों में भी शामिल थे।
वह 2010 में और फिर 2013 में एक और कार्यकाल के लिए कानून समिति के सदस्य बने।
वह के.के. वेणुगोपाल की जगह भारत के नए अटॉर्नी जनरल बने हैं।