ग्लोबल वार्मिंग एक विश्वव्यापी समस्या है जो पृथ्वी के तापमान के वृद्धि से होती है। यह प्रकृति के बदलते रूपों में से एक है जो मानव गतिविधियों के द्वारा बढ़ता है। अतिरिक्त उष्णता के कारण, पृथ्वी के जीवन प्रणाली पर असर पड़ता है और इससे वनस्पतियों, जानवरों और मानव जीवन पर नकारात्मक प्रभाव होता है।
ग्लोबल वार्मिंग का सबसे बड़ा कारण अंतर्राष्ट्रीय और देशी उत्पादों के धुंआ और उनके पारितंत्र से उत्पन्न ग्रीनहाउस गैस हैं। इस गैस का प्रमुख कारण फॉसिल ईंधनों का उपयोग होता है जो पेट्रोल, डीजल, एवं कोयले जैसे उत्पादों में होता है। ये उत्पाद सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण उत्पन्न करते हैं जो पृथ्वी के जलवायु को प्रभावित करते हैं।
जो लोग इस परिस्थिति के बारे में समझते हैं, उन्हें इससे होने वाले नुकसानों के बारे में स्पष्ट विवरण होने की जरूरत है।
ग्लोबल वार्मिंग और उससे होने वाले परिणाम आधुनिक मानवता के लिए जीवन की खतरा बन गए हैं। धरती पर उष्णता बढ़ने से जीवन धंधे बदलते जा रहे हैं। धरती की ऊंचाई से लेकर समुद्र के नीचे तक हर स्थान पर संकट का सामना किया जा रहा है। इससे उत्पन्न होने वाली समस्याएं न सिर्फ मानव जीवन को प्रभावित कर रही हैं, बल्कि इससे पृथ्वी के अन्य प्राणियों को भी ध्वस्त कर रही हैं।
ग्लोबल वार्मिंग के असर से जंगलों, पर्वतों और समुद्रों पर असर पड़ता है। इससे जंगलों की कटौती बढ़ जाती है जिससे वनस्पतियों और जीव-जंतुओं का नाश होता है। समुद्र तटों पर बढ़ते जल स्तर से तटीय इलाकों में जलमग्नता बढ़ती है जिससे लोगों की जान में खतरा आ जाता है।
विश्व भर में एक साथ काम करके हम इस समस्या का सामना कर सकते हैं। हमें एक संज्ञानवर्धक जन चेतना उत्पन्न करनी चाहिए जो पर्यावरण की रक्षा के लिए जागरूक होती है। अधिक से अधिक लोगों को इस समस्या के बारे में जानकारी देनी चाहिए और उन्हें इस समस्या का समाधान निकालने में सहायता करनी चाहिए।
हम इस समस्या का समाधान निकालने के लिए संयुक्त रूप से काम कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, नई ऊर्जा स्रोतों को खोजना चाहिए जो कि पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं हों। हम अधिक से अधिक पौधों को लगाने चाहिए जो ऑक्सीजन को निर्मित करते हैं और कार्बन डाइ ऑक्साइड को निष्कासित करते हैं।