- पहले के समय कोर्ट में सिर्फ तभी सुनवाई होती थी और निर्णय दिये जाते थे जब वादी और प्रतिवादी पक्ष न्यायालय में आकार न्याय की मांग करें !
- परंतु दलित, निर्धन, पिछड़े, निरक्षर, एवं अक्षम लोगों को शीघ्र न्याय दिलाने के लिए अपने ऊपर लगे इस प्रतिबंध को न्यालपालिका ने हटा लिया !
- साल 1970 के शुरू में जस्टिस पी एन भगवती तथा वी के कृष्णा अय्यर ने आरंभ किया था इसके बाद के मुख्य न्यायधीशों ने भी इस प्रथा को प्रोत्साहित किया !
- अब न्यायालय को किसी भी व्यक्ति या संस्था द्वारा सूचित मात्र करने पर न्यायालय स्वयम उसकी जांच कराकर वस्तुस्थिति को देखकर जनहित में निर्णय देती है !
- इस प्रकार के वाद जनहितवाद (Public Interest Litigation) कहलाते हैं !
- अनुच्छेद 226 के तहत PIL सिर्फ उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय में ही दाखिल की जा सकती है !