मैत्री सेतु
- भारत और बांग्लादेश के बीच फेनी नदी पर “मैत्री सेतु” का निर्माण किया गया है|
- फेनी नदी दक्षिण पूर्वी बांग्लादेश और भारतीय राज्य त्रिपुरा में बहती है। अतः फेनी नदी त्रिपुरा और बांग्लादेश की सीमा के बीच बहती है।
- फेनी नदी का उद्गम दक्षिण त्रिपुरा जिले से होता है। यह सबरूम (त्रिपुरा में स्थित ) शहर से होते हुए बांग्लादेश में प्रवेश करती है तथा बंगाल की खाड़ी में गिरती है |
- फेनी एक क्रॉस बॉर्डर नदी है जो बांग्लादेश के स्वतंत्र (1972 ई) होने से पहले नदी के जल अधिकारों को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच कई विवाद थे।
- “मैत्री सेतु” की आधारशिला आधिकारिक तौर पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना द्वारा जून 2015 में रखी गयी थी जो वर्ष 2020 के दिसंबर में बनकर तैयार हुआ|
- ‘मैत्री सेतु’ भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों और मैत्रीपूर्ण संबंधों का प्रतीक है।
- इससे दोनों देशों के बीच व्यापार और परस्पर संपर्क बढ़ेगा।
- यह सेतु 1.9 किलोमीटर लंबा यह पुल भारत में सबरूम को बांग्लादेश के रामगढ़ से जोड़ता है।
- राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड द्वारा 133 करोड़ रुपये की लागत से इस सेतु का निर्माण किया गया था।
फेनी नदी विवाद
- फेनी नदी के जल के बँटवारे का विवाद वर्ष 1958 के समय से लंबित था |
- बांग्लादेश की तरफ से यह आरोप लगाया जाता है कि फेनी नदी का पानी काफी समय से भारत की ओर से पंपों द्वारा निकला जाता है|
- सबरूम त्रिपुरा के दक्षिणी किनारे पर स्थित एक शहर है। यह शहर पेयजल की समस्या से ग्रस्त है तथा इस क्षेत्र के भू-जल में लौह तत्त्व अत्यधिक मात्रा में मौजूद है।
- वर्ष 2019 में भारत और बांग्लादेश के बीच संयुक्त नदियों के आयोग (JRC) की एक जल सचिव-स्तरीय बैठक आयोजित नई दिल्ली में आयोजित की गयी थी, जिसमें भारत और बांग्लादेश के बीच 7 नदियों (मनु, मुहुरी, खोवाई , गुमटी, धरला, दुधकुमार, और फेनी) के जल आंकड़ो के एकत्र कर समझौता किया गया था |
- इसके साथ ही वर्ष 2019 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने त्रिपुरा के सबरूम शहर में एक पेयजल आपूर्ति योजना के लिए भारत और बांग्लादेश के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) को मंजूरी दी गयी थी।
- इस समझौता ज्ञापन (एमओयू) द्वारा सबरूम शहर में एक पेयजल आपूर्ति हेतु भारत द्वारा फेनी नदी से 1.82 क्यूसेक (क्यूबिक फीट प्रति सेकंड) पानी की निकासी को मंजूरी मिली थी।