रामानुजन पुरस्कार
- यह गणित के क्षेत्र में दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में एक माना जाता है।
- इसका पूरा नाम रामानुजम प्राइज फॉर यंग मैथमेटिशियन है।
- यह पुरस्कार हर साल विकासशील देशो के युवा गणितज्ञों को दिया जाता है। उनकी उम्र 45 वर्ष से कम होनी चाहिए।
- 45 वर्ष से कम आयु के युवा गणितज्ञों को गणित के क्षेत्र में नई पहचान बनाने के लिए रामानुजन पुरस्कार दिया जाता है।
- इसकी शुरुआत साल 2005 में महान भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की याद में की गई थी। इसे इंटरनेशनल सेंटर फॉर थियोरेटिकल फिजिक्स रामानुजन पुरस्कार भी कहा जाता है।
- यह इटली में स्थित अंतर्राष्ट्रीय सैद्धांतिक भौतिकी केंद्र द्वारा दिया जाता है।
- इसके लिए धन की व्यवस्था अल्बेल फंड के माध्यम से की जाती है।
- इस पुरस्कार को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार, नॉर्वेजियन एकेडमी ऑफ साइंस एंड लेटर्स और अंतर्राष्ट्रीय गणितीय संघ का भी सहयोग एवं समर्थन मिलता है।
- इसीलिए पुरस्कार के नाम में इन तीनों संस्थाओं का नाम संक्षेप में (DST-ICTP-IMU) उल्लेखित रहता है।
श्रीनिवास रामानुजन
- यह एक महान भारतीय गणितज्ञ थे।
- इनका जन्म 22 दिसंबर, 1887 को तमिलनाडु के इरोड गांव में हुआ था।
- उन्होंने गणित के क्षेत्र में संख्या सिद्धांत, गणितीय विश्लेषण और अनंत श्रृंखला में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
- एक अंग्रेज गणितज्ञ हार्डी ने उनकी प्रतिभा को पहचानते हुए साल 1913 में उन्हें कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के लिए आमंत्रित किया।
- साल 1919 में हेपेटिक अमीबासिस नामक बीमारी से पीड़ित होने की वजह से वे मजबूरीवश भारत लौट आए। बाद में, वे टीबी से भी पीड़ित हो गए।
- भारत लौटने के बाद लंबी बीमारी के कारण 26 अप्रैल, 1920 को मात्र 32 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
- इनकी याद में प्रत्येक वर्ष 22 दिसंबर को भारतीय गणित दिवस अथवा राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाता है।
नीना गुप्ता
- भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI), कोलकाता में गणित की प्रोफेसर नीना गुप्ता को रामानुजन पुरस्कार से नवाजा गया है।
- अलजेब्रिक जियोमेट्रो और कम्यूटेटिव अल्जेब्रा में शानदार काम के लिए नीना गुप्ता को ‘विकासशील देशों के युवा गणितज्ञों का 2021 DST-ICTP-IMU रामानुजन पुरस्कार’ दिया गया है।
- नीना गुप्ता को साल 2019 में शांति स्वरूप भटनागर प्राइज फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी से भी सम्मानित किया जा चुका है।
- साल 2014 में अलजेब्रिक जियोमेट्रो के फील्ड में Zariski cancellation problem को हल करने के लिए उन्हें नेशनल साइंस एकेडमी की तरफ से यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड से भी नवाजा गया था।
- यह सम्मान पाने वाली प्रो नीना गुप्ता तीसरी महिला हैं, जबकि अभी तक यह पुरस्कार चार भारतीयों को मिल चुका है।
- साल 2006 में सुजाता रामादोरई, 2015 में अमलेंदू कृष्णा, 2018 में ऋतब्रत मुंशी को ये सम्मान मिला था।