थेरी मरुस्थल
- यह मरुस्थल तमिलनाडु राज्य में स्थित एक छोटा सा रेगिस्तान है।
- इस मरुस्थल में लाल रेत के टीले पाए जाते हैं।
- लाल रेत के टीलों को तमिल में ‘थेरी’ कहा जाता है।
- यह रेत के टीले थूथुकुडी ज़िले तक ही सीमित है।
- इस रेगिस्तान में क्वार्टनरी युग (2.6 मिलियन वर्ष पहले) की तलछट शामिल हैं और यह समुद्री निक्षेप से बने हैं।
- इसमें बहुत कम पानी और पोषक तत्व धारण क्षमता है।
- टिब्बा वायुगतिकीय उभार के लिये अतिसंवेदनशील होते हैं।
थेरी की खनिज संरचना
- थेरी मरुस्थल में पेट्रोग्राफिकल अध्ययन और लाल रेत के टीलों के एक्स-रे विवर्तन विश्लेषण से भारी और हल्के खनिजों की उपस्थिति का पता चला है।
- इन खनिजों में इल्मेनाइट, मैग्नेटाइट, रूटाइल, गार्नेट, ज़िरकोन, डायोपसाइड, टूमलाइन, हेमेटाइट, गोएथाइट, कानाइट, क्वार्ट्ज़, फेल्डस्पार और बायोटाइट शामिल हैं।
- मृदा में मौज़ूद आयरन से भरपूर भारी खनिज सतह के जल से निक्षालित हो गए थे और फिर अनुकूल अर्ध-शुष्क जलवायु परिस्थितियों के कारण ऑक्सीकृत हो गए।
- इसी कारण से थूथुकुडी ज़िले के एक तटीय शहर तिरुचेंदूर के पास के टीले लाल रंग के होते हैं।
विशेष
- टिब्बा –मरुस्थलीय भागों में पवनों के द्वारा रेत को एक स्थान से दूसरे स्थान पर बहाकर ले जाती है। जब पवन का बहाव रुकता है तो यह रेत गिरकर छोटी पहाड़ी बनाती है। इनको बालू टिब्बा कहते हैं।
- पेट्रोग्राफी –चट्टानों की संरचना और गुणों का अध्ययन है।
- एक्स-रे विवर्तन विश्लेषण- एक सामग्री की क्रिस्टलोग्राफिक संरचना को निर्धारित करने के लिये इस्तेमाल की जाने वाली विधि है।