मिशन वात्सल्य
- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने वर्ष 2009 से पहले बच्चों की सुरक्षा की आवश्यकता हेतु निम्न तीन योजनाओं को लागू किया था-
- किशोर न्याय कार्यक्रम,
- सड़क पर रहने वाले बच्चों हेतु एकीकृत कार्यक्रम,
- बाल गृह सहायता योजना
- वर्ष 2010 में इन तीन योजनाओं को मिलाकर एकीकृत बाल संरक्षण योजना के रूप में जाना जाता है।
- वर्ष 2017 में इसका नाम बदलकर “बाल संरक्षण सेवा योजना” कर दिया गया
- वर्ष 2021-22 में इसको मिशन वात्सल्य के रूप में नामित किया गया।
- यह देश में बाल संरक्षण सेवाओं हेतु अम्ब्रेला योजना है।
अनुमोदन बोर्ड के कार्य और सदस्य
- मिशन वात्सल्य परियोजना अनुमोदन बोर्ड राज्यों को इस योजना के तहत धनराशि स्वीकृत करेगा।
- बोर्ड की अध्यक्षता महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव करेंगे।
- उन्हें अनुदान जारी करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त होने वाली वार्षिक योजनाओं के साथ-साथ वित्तीय प्रस्तावों की जांच और अनुमोदन करने का काम सौंपा जाएगा।
- इस बोर्ड के अन्य सदस्यों में शामिल हैं-
- 1. गृह मामलों के विभाग के सचिव
- 2. सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के सचिव
- 3. पंचायती राज विभाग के सचिव
- 4. ग्रामीण विकास और आवास और शहरी मामलों के विभागों के सचिव
- 5. श्रम और युवा मामले और खेल विभाग के सचिव
- 6. स्कूल मामलों और साक्षरता विभाग के सचिव
- 7. नीति आयोग के सीईओ
कैसे राज्यों में लागू किया जाएगा?
- मिशन वात्सल्य को केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में लागू किया जाएगा।
- इस योजना के क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन भी केंद्र सरकार के साथ भागीदारी करेंगे।
- इसे 60:40 के अनुपात में फंड-शेयरिंग पैटर्न के साथ राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन के साथ साझेदारी में केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में लागू किया जाएगा।
- पूर्वोत्तर के आठ राज्यों के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लिये केंद्र और राज्य/केंद्रशासित प्रदेश का हिस्सा 90:10 में होगा।
- विधायिका के बिना केंद्र शासित प्रदेशों के लिए, कुल लागत केंद्र द्वारा साझा की जाएगी।