रामसर सम्मेलन (Ramsar Convention)
- रामसर सम्मेलन 2 फरवरी, 1971 को यूनेस्को द्वारा स्थापित किया गया था।
- यह एक अंतर सरकारी पर्यावरण संधि है।
- ईरान के शहर रामसर में 2 फरवरी, 1971 को हुए सम्मेलन में प्रतिभागी राष्ट्रों द्वारा आर्द्रभूमियों के संरक्षण से संबंधित संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे।
- इस संधि का नाम ईरान के रामसर शहर के नाम पर रखा गया है।
- यह कन्वेंशन 1975 में लागू हुआ था।
- यह आर्द्रभूमि के संरक्षण और उनके संसाधनों का स्थायी उपयोग करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और राष्ट्रीय कार्रवाई को प्रोत्साहित करता है।
- इस कन्वेंशन के द्वारा विश्व भर में अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमियों की पहचान की जाती है।
रामसर साइटों की कुल संख्या
- रामसर कन्वेंशन के तहत तमिलनाडु से 3 और मिजोरम और मध्य प्रदेश से एक-एक आर्द्रभूमि की पहचान की गई है।
- भारत ने अंतर्राष्ट्रीय महत्व के पांच नए रामसर आर्द्रभूमि स्थलों को जोड़ा है।
- भारत में अब रामसर साइटों की कुल संख्या 54 हो गई है।
नई रामसर साइट
पल्लिकरनई मार्श रिजर्व फॉरेस्ट, तमिलनाडु
- यह चेन्नई में मीठे पानी का दलदल है।
- यह चेन्नई में एकमात्र जीवित आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र है।
- इस आर्द्रभूमि की गणना दक्षिण भारत के अंतिम शेष प्राकृतिक आर्द्रभूमि में की जाती है।
करिकीली पक्षी अभयारण्य, तमिलनाडु
- यह तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले में स्थित 61.21 हेक्टेयर संरक्षित क्षेत्र है।
- यह चेन्नई से 75 किमी की दूरी पर स्थित है।
पिचवरम मैंग्रोव, तमिलनाडु
- यह तमिलनाडु के कुड्डालोर जिले में चिदंबरम के पास स्थित है।
- यह 1100 हेक्टेयर के क्षेत्र को कवर करता है और इस प्रकार देश के सबसे बड़े मैंग्रोव वनों में गिना जाता है।
पाला आर्द्रभूमि, मिजोरम
- यह मिजोरम की सबसे बड़ी प्राकृतिक आर्द्रभूमि है।
- यह आर्द्रभूमि हरे भरे जंगलों से घिरी हुई है।
- यह जानवरों और पक्षियों की कई प्रजातियों सहित पशु प्रजातियों की समृद्ध विविधता के लिए जानी जाती है।
साख्य सागर, मध्य प्रदेश
- यह झील मध्य प्रदेश के शिवपुरी में माधव राष्ट्रीय उद्यान का एक अभिन्न अंग है