बजट सरकार की आय और व्यय का लेखा जोखा होता है बजट में यह बताया जाता है कि सरकार के पास रुपया कहां से आया और कहां गया|

इस लेख में राजस्व प्राप्तियां, योजनागत व्यय, राजकोषीय घाटा जैसे कुछ शब्दों के बारे में बताया है बजट के प्रभावों को समझ सकें|

  1. समेकित कोष (Consolidated Fund):- यह भारत सरकार का वह कोष है जिसमे सरकार की समस्त राजस्व प्राप्तियां, सरकार द्वारा जारी किये गए ट्रेज़री बिल्स और वसूले गए ऋण आदि को शामिल किया जाता हैं |

2. राजस्व प्राप्तियां (Revenue Receipts):- ऐसी प्राप्तियां जिनके लौटाने का दायित्व सरकार का नही हो या जिनके साथ किसी संपत्ति की बिक्री नही जुडी हो, राजस्व प्राप्तियां कहलाती हैं|

इन प्राप्तियों के कारण सरकार की देयता (liability) में बृद्धि नही होती है | इनको कर राजस्व (आय कर, निगम कर, बिक्री कर इत्यादि) और गैर-कर राजस्व (ब्याज, फीस, लाभ) में बांटा जा सकता है |

 3. योजनागत व्यय (Planned Expenditure):- उस व्यय को योजनागत व्यय कहा जाता है जिसमे उत्पादन परिसंपत्ति (production assets) का निर्माण होता है| यह व्यय विभिन्न आर्थिक कल्याणकारी योजनाओं से सम्बंधित होता है| उदाहरण: स्कूल, पुल, अस्पताल का निर्माण आदि |

4. आकस्मिक कोष (Contingency Fund):-इस फण्ड में आकस्मिक व्यय को पूरा करने के लिए एक राशि रखी जाती है| इससे व्यय ऐसे मुद्दों पर किया जाता है जिनको टाला नही जा सकता है लेकिन बाद में संसद से अनुमति लेकर संचित निधि से रुपया लेकर इसमें डाल दिया जाता है | इस पर राज्य के सम्बन्ध में राज्यपाल और केंद्र के सम्बन्ध में राष्ट्रपति का अधिकार रहता है |

 5. राजकोषीय नीति (Fiscal Policy):-एक ऐसी नीति जो कि सरकार की आय, सार्वजनिक व्यय (रक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली पानी सड़क इत्यादि), कर की दरों (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष), सार्वजनिक ऋण, घाटे की वित्त व्यवस्था से सम्बंधित होती है| 

6. राजस्व व्यय (Revenue Expenditure):- इसके अन्दर उन खर्चों को रखा जाता है जिससे सरकार की न तो उत्पादन क्षमता का विस्तार होता है और न ही भविष्य के लिए अतिरिक्त आय सृजित होती है | उदाहरण: सरकारी विभागों को चलाने में होने वाला खर्च, सरकारी सब्सिडी, कर्ज पर ब्याज की अदायगी, राज्य सरकारों को अनुदान आदि |

7. पूंजीगत प्राप्तियां (Capital Receipts):- ऐसी सार्वजनिक प्राप्तियों को पूंजीगत आय कहते हैं जिनसे सरकार के उत्तरदायित्व के बृद्धि होती है और सरकार की परिसंपत्तियों में कमी होती है| उदाहरण – देश के अन्दर लिया गया ऋण, विदेश से लिया गया ऋण, रिज़र्व बैंक से लिया जाने वाला ऋण आदि |

8. पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure): सरकार के उन खर्चों को पूंजीगत व्यय के अंतर्गत रखा जाता है जिससे सरकार की संपत्तियों में बृद्धि होती है, जैसे सड़क, स्कूल, अस्पताल,किसी पुराने भवन की मरम्मत आदि|

9. गैर योजनागत व्यय (Non-Plan Expenditure): ऐसा सार्वजनिक व्यय जिससे कि कोई विकास का काम नही होता है, गैर योजनागत व्यय की श्रेणी में गिना जाता है| उदाहरण – रक्षा व्यय, पेंशन, महंगाई भत्ता, बाढ़, सूखा, ओला वृष्टि आदि पर किया गया खर्च आदि| इसके लिए धन की व्यवस्था भारत की संचित निधि से होती है |

10. कर (Tax):- यह एक प्रकार का अनिवार्य भुगतान है जिसे करदाता बिना किसी प्रतिफल के सरकार को देता है|

11. अधिभार (Surcharge):- यह अधिभार, कर के ऊपर कर है जिसकी गणना कर दायित्व के आधार पर की जाती है| सामान्यतः इसे आय कर के ऊपर लगाया जाता है |

12. उपकार (Cess): इसे कर के साथ किसी विशेष उद्येश्य के लिए धन इकठ्ठा करने के लिए, कर आधार (tax base) पर ही लगाया जाता है | अभी सभी कर दाताओं को स्वच्छ भारत सेस, कृषि कल्याण सेस, स्वच्छ पर्यावरण सेस देना पड़ रहा है जिसकी दर 0.5% है|

13. सार्वजनिक ऋण (Public Debt): इसके अंतर्गत तीन प्रकार की देयताएं आती हैं:

i. आंतरिक ऋण: सरकार द्वारा जारी किये गए ट्रेज़री बिल्स और प्रतिभूतियां

ii. विदेशी ऋण: विदेशी सरकारों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से लिया गया ऋण

iii. अन्य ऋण: ब्याज युक्त देयताएं, डाकघर बचत जमायें प्रोविडेंट फण्ड का जमा तथा अल्प बचत योजनाओं के प्रमाण पत्र

14. चालू खाता घाटा (Current Account Deficit) यह एक देश से निर्यात होने वाली वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य का उस देश के आयात मूल्य के अंतर को बताता है| जिस देश की निर्यात से होने वाली आय, आयात बिल की तुलना में कम हो जाती है उस देश का चालू खाता विपरीत माना जाता है |

15. राजस्व घाटा (Revenue Deficit): जब सरकार की कुल राजस्व प्राप्ति कुल राजस्व व्यय से कम हो |

राजस्व घाटा= कुल राजस्व आय – कुल राजस्व व्यय

यह ध्यान देने योग्य बात यह है कि ‘कुल राजस्व प्राप्ति में से कुल व्यय घटाने पर राजस्व घाटा प्राप्त नही होगा, बल्कि राजस्व व्यय घटाने पर होगा’ |

16. बजट घाटा (Budgetary Deficit):यदि कुल प्राप्तियां, कुल व्यय से अधिक हुई तो बजटरी आधिक्य की स्थिति होगी अन्यथा बजटरी घाटा होगा |

बजटरी घाटा = कुल प्राप्ति – कुल व्यय

बजटरी घाटा = (कुल राजस्व प्राप्ति+कुल पूंजीगत प्राप्ति) – (कुल राजस्व व्यय + कुल पूंजीगत व्यय)

17. राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit)– बजटरी घाटा सही तरीके से सरकार के ऋण दायित्वों की जानकारी नही देता है, इस कारण एक नयी अवधारणा राजकोषीय घाटा को लाया गया | राजकोषीय घाटा वह समग्र घाटा है जो कि वास्तव में सरकार की समस्त बजटरी आय तथा समग्र बजटरी व्यवहार से उत्पन्न कुल देयता दिखाता है| भारत में इसे शुरू करने का श्रेय मनमोहन सिंह को जाता है |

राजकोषीय घाटा = सरकार की सम्पूर्ण देयताएँ

                  = सार्वजनिक ऋण +रिज़र्व बैंक से लिया ऋण

या इस रूप में लिख सकते हैं:-

राजकोषीय घाटा = (सम्पूर्ण व्यय – सम्पूर्ण प्राप्तियां)+सरकारी दायित्व

अर्थात यदि सरकार अपनी राजस्व प्राप्तियों से अधिक व्यय कर रही है तो व्यय अधिक्य को राजकोषीय घाटा कहेंगे |

18. प्राथमिक घाटा (Primary Deficit)– जब हम राजकोषीय घाटे में से ब्याज अदायगी को निकाल देते हैं तो प्राथमिक घाटा बचता है |

प्राथमिक घाटा= सकल राजकोषीय घाटा – ब्याज दायित्व

19. ट्रेजरी बिल (T-बिल)ये एक साल से भी कम परिपक्वता अवधि के वे सरकारी बांड होते हैं जिन्हें सरकार द्वारा जारी किया जाता है | सरकार इनको थोड़े समय की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए जारी करती है| जैसे 80 डेज एडहॉक ट्रेजरी बिल.

20. प्रतिभूति लेनदेन कर (Securities Transaction Tax-STT) – यह एक प्रकार का लेनदेन कर है जिसे आपको तब चुकाना पड़ता है जब आप प्रतिभूति बाजार(Security Market) में शेयर को खरीदने या बेचने का काम करते हैं या म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं |

21. न्यूनतम वैकल्पिक कर (Minimum Alternate Tax) – न्यूनतम वैकल्पिक कर, ऐसा कर है जो कि एक कंपनी को अपने लाभ पर देना पड़ता है|

22. बाह्य वाणिज्यिक उधार (External Commercial Borrowing-ECB) –  बाह्य वाणिज्यिक उधार एक ऋण होता है जिसे कि विदेशों से भारत से भी कम ब्याज दरों पर लिया जा सकता है| इसकी परिपक्वता अवधि कम से कम 3 साल की होती है |

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