शनि (Saturn), सूर्य से छठां ग्रह है तथा बृहस्पति के बाद सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह हैं। औसत व्यास में पृथ्वी से नौ गुना बड़ा शनि एक गैस दानव है। जबकि इसका औसत घनत्व पृथ्वी का एक आठवां है, अपने बड़े आयतन के साथ यह पृथ्वी से 95 गुने से भी थोड़ा बड़ा है। इसका खगोलिय चिन्ह ħ है।
शनि का आंतरिक ढांचा संभवतया, लोहा, निकल और चट्टानों (सिलिकॉन और ऑक्सीजन यौगिक) के एक कोर से बना है, जो धातु हाइड्रोजन की एक मोटी परत से घिरा है, तरल हाइड्रोजन और तरल हीलियम की एक मध्यवर्ती परत तथा एक बाह्य गैसीय परत है। ग्रह अपने ऊपरी वायुमंडल के अमोनिया क्रिस्टल के कारण एक हल्का पीला रंग दर्शाता है। माना गया है धातु हाइड्रोजन परत के भीतर की विद्युतीय धारा, शनि के ग्रहीय चुंबकीय क्षेत्र को उभार देती है, जो पृथ्वी की तुलना में कमजोर है और बृहस्पति की एक-बीसवीं शक्ति के करीब है। बाह्य वायुमंडल आम तौर पर नीरस और स्पष्टता में कमी है, हालांकि दिर्घायु आकृतियां दिखाई दे सकती है। शनि पर हवा की गति, 1800 किमी/घंटा (1100 मील) तक पहुंच सकती है, जो बृहस्पति पर की तुलना में तेज, पर उतनी तेज नहीं जितनी वह नेप्च्यून पर है।
शनि की एक विशिष्ट वलय प्रणाली है जो नौ सतत मुख्य छल्लों और तीन असतत चाप से मिलकर बनी हैं, ज्यादातर चट्टानी मलबे व धूल की छोटी राशि के साथ बर्फ के कणों की बनी हुई है। बासठ चन्द्रमा ग्रह की परिक्रमा करते है; तिरेपन आधिकारिक तौर पर नामित हैं। इनमें छल्लों के भीतर के सैकड़ों ” छोटे चंद्रमा” शामिल नहीं है। टाइटन, शनि का सबसे बड़ा और सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा चंद्रमा है। यह बुध ग्रह से बड़ा है और एक बड़े वायुमंडल को संजोकर रखने वाला सौरमंडल का एकमात्र चंद्रमा है।
रासायनिक संरचना
बृहस्पति का उपरी वायुमंडल 88.92% हाइड्रोजन और 8-12% हीलियम से बना है और ध्यान रहे यहाँ प्रतिशत का तात्पर्य अणुओं की मात्रा से है। हीलियम परमाणु का द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु से चार गुना ज्यादा होता है। यह संरचना तब बदल जाती है जब इसके द्रव्यमान के अनुपात को विभिन्न परमाणुओं के योगदान के रूप में वर्णित किया जाता है। इस प्रकार वातावरण लगभग 75% % हाइड्रोजन और 24 % हीलियम द्रव्यमान द्वारा औए शेष एक प्रतिशत द्रव्यमान अन्य तत्वों से मिलकर बना होता है। इसके आतंरिक भाग में घने पदार्थ मिलते है, इस तरह मोटे तौर पर वितरण 71% हाइड्रोजन, 24% हीलियम और 5% अन्य तत्वों के द्रव्यमान का होता है। खगोलशास्त्रियों का मानना है कि बृहस्पति के केन्द्रीय भाग में हाइड्रोजन भयंकर दबाव से कुचलकर धातु हाइड्रोजन के रूप में मौजूद है। बृहस्पति का चुम्बकीय क्षेत्र हमारे सौर मंडल के किसी भी अन्य ग्रह से अधिक शक्तिशाली है और वैज्ञानिक कहते हैं कि इसकी वजह बृहस्पति के अन्दर की धातु हाइड्रोजन है
वायुमंडल
बृहस्पति सदा अमोनिया क्रिस्टल और संभवतः अमोनियम हाइड्रोसल्फाइड के बादलों से ढंका रहता है। यह बादल ट्रोपोपाउस में स्थित हैं और विभिन्न अक्षांशों की धारियों में व्यवस्थित है, इन्हें उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के रूप में जाना जाता है। इन धारियों को हल्के रंग के क्षेत्रों (zones) और गहरे रंग की पट्टियों (belts) में उप-विभाजित किया गया है। इन परस्पर विरोधी परिसंचरण आकृतियों की पारस्परिक क्रिया तूफान और अस्तव्यस्तता का कारण होती है। क्षेत्रों में पवन की गति 100 मीटर/सेकण्ड (360 कि.मी./घंटा) होना आम बात है। क्षेत्रों की चौड़ाई, रंग और तीव्रता में वर्ष दर वर्ष भिन्नता देखी गयी है लेकिन उनमे इतनी स्थिरता बनी रहती है कि खगोलविद् पहचानकर उन्हें कोई नाम दे सके।