डाक सेवा
- सार्वजनिक तौर पर डाक सेवा का प्रारम्भ – 1837
- डाक विभाग की स्थापना – 1854
- पहला डाक टिकट जो कि कलकत्ता में छपा था – 1854
- डाकघर बचत योजना का प्रारम्भ – 1885
- पिन कोड प्रणाली का प्रारम्भ – 1972
- स्पीड पोस्ट का प्रारम्भ – 1986
- विदेश संचार निगम लिमिटेड की स्थापना – 1986
- टेलीकोम मिशन की स्थापना – 1986
- स्पीड पोस्ट मनी आर्डर सेवा का प्रारम्भ – 1988
- हाईब्रिड डाक सेवा का प्रारम्भ – 1995
- बिजनेस पोस्ट की स्थापना – 1997
- बिल मेल सेवा – 2003
- ई पोस्ट की शुरुआत – 2004
- डाइरेक्ट पोस्ट की शुरुआत – 2006
- UIDAI परियोजना – 2011
रेडियो
24 दिसम्बर 1906 की शाम कनाडाई वैज्ञानिक रेगिनाल्ड फेसेंडेन ने जब अपना वॉयलिन बजाया और अटलांटिक महासागर में तैर रहे तमाम जहाजों के रेडियो ऑपरेटरों ने उस संगीत को अपने रेडियो सेट पर सुना, वह दुनिया में रेडियो प्रसारण की शुरुआत थी।
भारत और रेडियो
- 1927 तक भारत में भी ढेरों रेडियो क्लबों की स्थापना हो चुकी थी। 1936 में भारत में सरकारी ‘इम्पेरियल रेडियो ऑफ इंडिया’ की शुरुआत हुई जो आज़ादी के बाद ऑल इंडिया रेडियो या आकाशवाणी बन गया।
- अपने पहले प्रसारण में उद्घोषक उषा मेहता ने कहा, “41.78 मीटर पर एक अंजान जगह से यह नेशनल कांग्रेस रेडियो है।”
- नवंबर 1941 में रेडियो जर्मनी से नेताजी सुभाष चंद्र बोस का भारतीयों के नाम संदेश भारत में रेडियो के इतिहास में एक और प्रसिद्ध दिन रहा जब नेताजी ने कहा था, “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा।”
- इसके बाद 1942 में आज़ाद हिंद रेडियो की स्थापना हुई जो पहले जर्मनी से फिर सिंगापुर और रंगून से भारतीयों के लिये समाचार प्रसारित करता रहा।
- स्वतन्त्रता के पश्चात से 16 नवम्बर 2006 तक रेडियो केवल सरकार के अधिकार के था। धीरे-धीरे आम नागरिकों के पास रेडियो की पहुँच के साथ इसका विकास हुआ।
- सरकारी संरक्षण में रेडियो का काफी प्रसार हुआ। 1947 में आकाशवाणी के पास छह रेडियो स्टेशन थे और उसकी पहुंच 11 प्रतिशत लोगों तक ही थी। आज आकाशवाणी के पास 223 रेडियो स्टेशन हैं और उसकी पहुंच 99.1 फ़ीसदी भारतीयों तक है।
टेलीविजन
दूरदर्शन का पहला प्रसारण 15 सितंबर, 1959 को प्रयोगात्मक आधार पर आधे घण्टे के लिए शैक्षिक और विकास कार्यक्रमों के रूप में शुरू किया गया। उस समय दूरदर्शन का प्रसारण सप्ताह में सिर्फ तीन दिन आधा-आधा घंटे होता था। तब इसको ‘टेलीविजन इंडिया’ नाम दिया गया था बाद में 1975 में इसका हिन्दी नामकरण ‘दूरदर्शन’ नाम से किया गया। यह दूरदर्शन नाम इतना लोकप्रिय हुआ कि टीवी का हिंदी पर्याय बन गया।
- शुरुआती दिनों में दिल्ली भर में 18 टेलीविजन सेट लगे थे और एक बड़ा ट्रांसमीटर लगा था। तब दिल्ली में लोग इसको कुतुहल और आश्चर्य के साथ देखते थे। इसके बाद दूरदर्शन ने धीरे धीरेअपने पैर पसारे और दिल्ली (1965); मुम्बई (1972); कोलकाता (1975), चेन्नई (1975) में इसके प्रसारण की शुरुआत हुई।
- शुरुआत में तो दूरदर्शन यानी टीवी दिल्ली और आसपास के कुछ क्षेत्रों में ही देखा जाता था। दूरदर्शन को देश भर के शहरों में पहुँचाने की शुरुआत 80 के दशक में हुई और इसकी वजह थी 1982 में दिल्ली में आयोजित किए जाने वाले एशियाई खेल थे।
- एशियाई खेलों के दिल्ली में होने का एक लाभ यह भी मिला कि श्वेत और श्याम दिखने वाला दूरदर्शन रंगीन हो गया था। फिर दूरदर्शन पर शुरु हुआ पारिवारिक कार्यक्रम हम लोग जिसने लोकप्रियता के तमाम रेकॉर्ड तोड़ दिए। 1984 में देश के गाँव-गाँव में दूरदर्शन पहुँचानेके लिए देश में लगभग हर दिन एक ट्रांसमीटर लगाया गया।